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जब परिवर्तन का आविर्भाव होता है। जर्जरित परम्पराओं का बिखराव होता है।। उग उठती हैं सुफल की फसलें। चहुँ ओर निनादित सद्भाव होता है।। सिंहासन डोल उठते हैं नरपिशाचो के। नई सोच का जब सिन्हनाद होता है।।
30 नवम्बर 2016
जब परिवर्तन का आविर्भाव होता है। जर्जरित परम्पराओं का बिखराव होता है।। उग उठती हैं सुफल की फसलें। चहुँ ओर निनादित सद्भाव होता है।। सिंहासन डोल उठते हैं नरपिशाचो के। नई सोच का जब सिन्हनाद होता है।।
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