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ग़ज़ल

31 अक्टूबर 2021

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गम के सेहरा में कोई आस का जुगनू भी नहीं
इतना रोया हूँ कि अब आंख में आंसू भी नहीं

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बहुत बेहतरीन लाजवाब 👌👌👌👌

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दर्द की इंतहाq👌👌हार्दिक शुभकामनाएं अब्दुल जी🙏

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