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ग़ज़ल

10 जून 2016

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इस जमीं के लोगों की बग़ावत कम नहीं होती। महज एक-दो ही अक्षर से जहालत कम नहीं होती। अजी! एक दोस्त को एक दोस्त से गहरी शिकायत है। शिकायत रह ही जाती है शिकायत कम नहीं होती। तुझे मुझसे अदावत है मुझे तुझसे अदावत गर अदावत ही अदावत से मुहब्बत कम नहीं होती। Is zami ke logon ki bagaavat kam nahi hoti. Mahaz ek-do hi akshar se jahalat kam nahi hoti. Aji! Ek dost ko ek dost se gahri shikaayat hai. Shikayat rah hi jati hai shikayat kam nahi hoti Tujhe mujhse adavat hai mujhe tujhse adavat hai. Adaavat hi adaavat se muhabbat kam nahi hoti.

10 जून 2016

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मुखिया

6 फरवरी 2015
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समिति आरो वार्ड कमिश्नर। भुखले पेट रोज मरै छै। पर मुखिया के गोदाम में सब गेहूँ-चावल सरै छै। गरीबन सब के खून पीके। बोलेरो ई रंगबाबै छै। कोन कसाई मुखिया बन्लै। शरम नै तनियो आवै छै। मारै छै ई लात पेट पर। ऊपर से गालियो पढ़ै छै। समिति आरो वार्ड कमिशनर। भुखले पेट रोज मरै छै।

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भुखले पेट रोज मरै छै

6 फरवरी 2015
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समिति आरो वार्ड कमिश्नर।भुखले पेट रोज मरै छै। पर मुखिया के गोदाम में सब गेहूँ-चावल सरै छै। गरीबन सब के खून पीके।  बोलेरो ई रंगबाबै छै। कोन कसाई मुखिया बन्लै।  शरम नै तनियो आवै छै।   मारै छै ई लात पेट पर।   ऊपर से गालियो पढ़ै छै। समिति आरो वार्ड कमिशनर।   भुखले पेट रोज मरै छै।

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राज़ दुनिया का दिखाना चाहता हूँ। चेहरे से चिलमन हटाना चाहता हूँ। बहुत कर चुके हम मज़ाहिब की लड़ाई। प्यार दिलों में अब बसाना चाहता हूँ।

6 फरवरी 2015
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ऐ दोस्त इस दुनिया में थोड़ा नाम करले तू

6 फरवरी 2015
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न कर सका जो कोई वैसा काम करले तू।      ऐ दोस्त इस दुनिया में थोड़ा नाम करले तू।     आदमी आते हैं और जाते हैं इस कदर।    इस नामुराद दुनिया की चिंता नहीं मगर।        है दीप जो वीरों का वो ताउम्र न बुझे।       कहना पड़े न नामुराद दुनिया को मुझे।       बनाले ऐसी हस्ती ऐसा दाम करले तू।       ऐ दोस्त इस दुन

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न कर सका जो कोई वैसा काम करले तू। ऐ दोस्त इस दुनिया में थोड़ा नाम करले तू। आदमी आते हैं और जाते हैं इस कदर। इस नामुराद दुनिया की चिंता नहीं मगर। है दीप जो वीरों का वो ताउम्र न बुझे। कहना पड़े न नामुराद दुनिया को मुझे। बनाले ऐसी हस्ती ऐसा दाम करले तू। ऐ दोस्त इस दुनिया में थोडा नाम करले तू।

6 फरवरी 2015
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vinti

12 मई 2016
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Ai baadal tu varsha ban ja.Tujhpe tiki hai aas abhiTu sab sanson ki saans abhiTu hi ab ushma bujhaayegaHriday se pyaas bhulayegaTu hai yahaan to yahin than ja.Ai baadal tu varsha ban ja

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ग़ज़ल

10 जून 2016
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इस जमीं के लोगों की बग़ावत कम नहीं होती।महज एक-दो ही अक्षर से जहालत कम नहीं होती।अजी! एक दोस्त को एक दोस्त से गहरी शिकायत है।शिकायत रह ही जाती है शिकायत कम नहीं होती।तुझे मुझसे अदावत है मुझे तुझसे अदावत गरअदावत ही अदावत से मुहब्बत कम नहीं होती।Is zami ke logon ki bagaavat kam nahi hoti.Mahaz ek-do hi

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