अमिराज कुमार आनन्द
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मुझे कविता और ग़ज़ल लिखना बेहद अच्छा लगता है। मैं "हिंदी भाषा साहित्य परिषद् " खगड़िया से जुड़ा हुआ हूँ।
मेरा गाँव
26 फरवरी 2017
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शरद ऋतु
4 दिसम्बर 2016
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ग़ज़ल
10 जून 2016
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vinti
12 मई 2016
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Hamdard
30 अप्रैल 2016
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ऐ दोस्त इस दुनिया में थोड़ा नाम करले तू
6 फरवरी 2015
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न कर सका जो कोई वैसा काम करले तू। ऐ दोस्त इस दुनिया में थोड़ा नाम करले तू। आदमी आते हैं और जाते हैं इस कदर। इस नामुराद दुनिया की चिंता नहीं मगर। है दीप जो वीरों का वो ताउम्र न बुझे। कहना पड़े न नामुराद दुनिया को मुझे। बनाले ऐसी हस्ती ऐसा दाम करले तू। ऐ दोस्त इस दुनिया में थोडा नाम करले तू।
6 फरवरी 2015
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राज़ दुनिया का दिखाना चाहता हूँ। चेहरे से चिलमन हटाना चाहता हूँ। बहुत कर चुके हम मज़ाहिब की लड़ाई। प्यार दिलों में अब बसाना चाहता हूँ।
6 फरवरी 2015
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भुखले पेट रोज मरै छै
6 फरवरी 2015
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मुखिया
6 फरवरी 2015
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