भटकते भटकते मेरी जाँ आ गये
था जाना कहाँ तुम कहाँ आ गये।
है़ इधर साँस लेने की फुर्सत नहीं,
क्यों जमीं छोड़कर आसमां आ गये?
किस तरह रात तन्हा गुजारोगे तुम,
हर तरफ जुगनुओं के निशाँ आ गये।
हार की हार में ढूंढ़ लो जीत तुम,
हार की दास्तां में जहाँ आ गये।
प्यार सबको यहाँ रास आता नहीं,
जो वफादार हैं खामखाँ आ गये।
कह दिया साफ हर बात "बाग़ी" यहाँ,
बाद में ये न हो बदजुबाँ आ गये।
#बाग़ी
8800586410