हवा के थपेड़े बस्ती उजाडेंगे जो खुद बिगड़े हैं हमें सुधारेंगे, जिनपे आज तक एक चिराग नहीं संभला वो अब पूरा आफ़ताब संभालेंगे । हम घूट नही ओक से पीते हैं, दो घूट पिलाक़े हमे बिगाड़ेंगे। हम रोटी नही गोली से पेट भरते हैं, देखते हैं हमको कैसे संभालेंगे? जब्त हो चुकी सारी दुनियावी ताकतें, अब अपनी जेबों से सिक्के निकालेंगे। लगता है 'सानू' दुनिया ठंडी हो गयी, चल आज सीने से लहू निकलेंगे। नाम- ऋतिक मौर्य 'सानू' मो. - 7