“पंख नाज़ुक मगर हम आसमाँ’ की सैर करते हैं,
फ़ौलादी हौसलों पर मौसम का असर नहीं होता I”
—शाहीन
7 नवम्बर 2015
“पंख नाज़ुक मगर हम आसमाँ’ की सैर करते हैं,
फ़ौलादी हौसलों पर मौसम का असर नहीं होता I”
—शाहीन
उम्दा बात लिखी है आपने ...हौसलों से ही इंसान इंसान कहला सकता है
7 नवम्बर 2015