जीने मरने की बातें करता था
वो कितनी झूठी बातें करता था।
उदास चहरे पर हंसी आ जाती थी
कभी-कभी वो ऐसी बातें करता था।
आज वो वक्त पर सो जाता है
कभी जो रात भर बातें करता था।
हर बात पर उसकी ,यकीन आ जाता
वो रोज नए झूठे वादे करता था।
उसे पता था मुझे जुगनू पसंद है
और वो चांद की बातें करता था।
कभी सुनाता था किस्से पुराने दिनों के
और कभी आज की बातें करता था।
मुझे पता था उससे बिछड़ना तय है
वो अक्सर रस्मों-रिवाजों की बातें करता था।
प्रकाश पंत