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झुठि रातें/सच्चे दिन

16 अगस्त 2023

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विजय नींद में सपना देखता है कि वह अगली सुबह नींद से जगे और बाहर पंक्षियों के चहकने की आवाजे बंगले के बरामदे में से स्पष्ट सुनाई दे रहा था और साथ में सूर्य नदी के दूसरी छोर से उजाले का दीप लिए जन्म लेता है, ये नजारा देख कनक खुशी में विजय को देखती है और उससे लिपट जाती है फिर वे एक दूसरे को किश करते हैं। तभी विष्णु निचे आता है और आवाज देता है, ये सुनकर विजय निचे जाता है उसे बंगले में रखे खराब सामानों को गैरेज में रखने को कहता है और वहा की अच्छे से सफ़ाई करने को बोलता है।

विष्णु जी मालिक कहकर काम में लग जाता है, विजय अपने कमरे में जाता है और कनक को तैयार होने को कहता है और कहता है - ' डार्लिंग, जल्दी से तैयार हो जाओ हमे आज जंगल के सैर पर निकलना है, हम वहा कुछ पल साथ बिताएंगे '।


कनक हां कहकर तैयार होने चली जाती है, फिर कुछ देर बाद दोनो तैयार होकर निचे आते हैं और विष्णु से बोल कर जाते हैं कि हम जंगल जा रहें हैं शाम के लिए खाना तैयार रखना हमे आने मे शाम हो जायेगी।

फिर वे दोनों कार में बैठकर जंगल की तरफ़ निकलते हैं , जंगल में पहुंचने के बाद वे एक दूसरे को रुक रुक देखे जा रहे थे तभी एक तेज़ हवा के जैसा कुछ सामने सी गुजरा ये देख विजय ने कार रोक दी।


कनक पूछती हैं -'क्या था ओ ?'

विजय कार से उतरता है और कार के समक्ष खड़ा होकर मामले को जांचने की कोशिश करता है पर कुछ आभास नही होता फिर ओ आकर कार में बैठ जाता है और कहता है कि -'शायद यह हमारा वेहम हो।'


फिर विजय कार स्टार्ट करता है और वे आगे बढ़ते हैं कुछ दूर जाने के बाद उन्हें रास्ता खत्म अब आगे एक पगडंडी थी जिसपर जाने के लिए उनको कार से उतर कर पैदल चलना होगा। फिर वे दोनों कार से उतरते हैं और पैदल निकल पड़ते हैं अब हवाए बंद पड़ गई थीं मानों कोई अनहोनी होने वाली हो जंगल बिल्कुल शांत था, कनक के माथे पर पसीना और आंखों में डर साथ ही साथ दिल का जोर से धड़कना स्पष्ट सुनाई दे रहा था, विजय थोड़ा सहमी था तो ओ कुछ दूर आगे चला गया था फिर उसे आवाज देती है -'मैं भी तुम्हारे साथ चलती हूं, मुझे डर लग रहा है '। विजय कोई रिस्पॉन्स नही देता है, फिर कनक दौड़ने लगती है विजय के पास जाने के लिए। उसके दौड़ने ही एक धवनी बहुत तेज़ आवाज़ करती हुई उसकी तरफ़ आती और हवाएं भी अब तेज हो चुकी थीं। को जंगल कुछ देर पहले शांत था अब ओ एक डरावनी रात जैसा हो गया था जंगल में अंधेरा छाने लगा था, अब कनक और डर गई और तेज गई से भागने लगी तभी उसकेे पैरों में ढेस लग जाती है आएऔर जमीन पर गिरती है और क्या देखती है कि उसके सिर में लगा हुआ है, उसे एक दर्द का एहसास होता है उसे ऐसा प्रतीत होता है कि उसके गिरने से उसको सिर फुट गया और खून निकलने लगा है फिर ओ जैसे तैसे करके ओ खड़ी होती है और जोर से चिल्लाती है उसको चिल्लाना सुनकर विजय दौड़ता है और उसके पास आकर देखता है तो ओ बेहोश जमीन पड़ी है फिर विजय उसके मुंह पर पानी मारता है और उसे होश में लाता है। कनक होश में आते ही रोने लगती है और पास में पड़ी एक लास की तरफ इशारा करती हैं, विजय लास को देखता और कहता है -' ये तो वहीं फोटोग्राफर है जिसको हम जंगल आते समय हमने देखा था '।


कनक उसको देखती है और डरते हुए जवाब देती है - ' ये वही है जिसे हमने आते वक्त देखा था '।


फिर विजय उसके शरीर पर पड़े निशान को देखता है और कनक को यकीन दिलाता है कि ये जो जख्म है इसके शरीर पर ओ सभी किसी जानवर के द्वारा दिए गया निशान है। हमे अब आगे बढ़ना चाहिए, कनक डरते हुवे कहती हैं - ' नहीं, हमे अब वापस बंगले पर लौट जाना चाहिए '।


विजय कहता है -'अरे पागल डरती क्यू हो, मैं हु न तुम्हारे साथ हमे आगे बढ़ना चाहिए '।


और फिर वे आगे बढ़ते हैं अब अंधेरा होने को था और कनक बंगले पर लौटने को कहती हैं, पर विजय के मन में कोई साजिश चल रही थीं और वह उसे आगे चलने को कहता है फिर कुछ दूर जाने के बाद, उन्हें एक झोपड़ी दिखती जो पूरी तरह से खाली थीं अब विजय कहता है कनक से -' तुम्हे एकांत चाहिए था हमे इसी ज्यादा एकांत कही नही मिलेगा, हम आज रात यही बिताएंगे '। 

इतना कहते ही कनक उसे वापस लौटने को कहती है क्यूंकि ऐसे मंजर देखने के बाद कौन वहा रुकना चाहेगा, पर विजय उसे दिलासा देता है कि सब ठीक होगा। फिर कनक वहा रुकने को तैयार हो जाती है ।


झोपड़ी के अंदर जाने पर उन्हें एक लालटेन दिखती है विजय अपना लाइटर जलाता है हवा का एक झोंका उसे बुझा देता है, फिर विजय एक बार और लाइटर जलाता है और उससे लालटेन में रोशनी डालता है, अब उस झोपड़ी में उजाला होता है और देखने को क्या मिलता उस झोपड़ी में अजीब तरह की चित्रकारी की गई थीं ये सारे चित्र किसी तरह हत्या का संकेत देते रहे थे जैसे की अभि हुए फोटोग्राफर की मौत ऐसी ही चित्र बने थे, ये देख कनक एक बार और घबरा जाती है फिर उसे समझाता कि हो सकता है कोई आया हो और ऐसी चित्रकारी करना उसका पेशा रहा हो क्यूंकि विजय आज रात यहां से जाना नहीं चाहता है क्योंकि उसके इरादे बिल्कुल नेक नही थे वे कनक के साथ फिर बही क्रिया करना चाहता है जो वह बीते कल रात किया।


फिर कनक रुकती है और वहा जमीन पर ही अपना बिस्तर लगाना चाहती हैं क्यूंकि वहा पर किसी भी तरह का कोई बेड नही था और फिर विजय को पत्ते लाने को बोलती है जिससे उनका बिस्तर थोड़ा गर्म और मोटा तथा आरामदायक हो सके, विजय जाता है जंगल की तरफ़। फिर कुछ समय बाद ओ नग्न अवस्था में आता है ये देख कनक डर जाती है और पूछती है -'ये सब क्या है? और तुम्हारे कपड़े कहा है?'

ये सब सुन विजय कहता है -'आखिर हम दोनों के बीच कपड़ो का क्या काम?' 

इतना कहकर ओ कनक को बांहों में भरा लेता ओर किश करने लगता है अब कनक भाई उसका साथ देने लगती है उसके बाद विजय कनक को जमीन पर लिटा कर पिछली रात वाली सारी क्रिया करने लगता है, कुछ समय के पश्चात दोनों एक दूसरे से संतुष्ट होने के बाद अब कनक कहती है - ' जाओ अब जंगल से पत्ते लिए आओ और हां जल्दी आना और एक बात और कपड़े पहन कर आना '।


इतना कहने के बाद तेज हवाएं चलने लगती है और जंगल की तरफ़ निकलता उसके 5 मिनट बाद विजय पत्ते लेकर लौटता है और देखता की बिस्तर पर कनक अधनग्न अवस्था में लेटी हुई है, ये देख विजय कहता है -' क्या बात है ? आज तो तुम बहुत रोमांटिक हो रही है ?' और पत्तो को साइड में फेंक कर कूद पड़ता है कनक के ऊपर और फिर वही कहानी चालू पिछली रात वाली क्रिया कुछ समय बाद कनक खुद को छुड़ाते हुए कहती हैं - ' अब छोड़ो भी मैं थक चुकी हूं, अभी तो हुआ है? '


इतना सुनने के बाद विजय कहता है -' मैं तो अभी आ रहा हूं, तो इससे पहले कैसे हो सकता है।' 


इतना सुन कनक डर जाती है (हवा और तेज होती है मानो आंधी उठ चुकी, बिजली बादल में गिरने के लिए तैयार मानों आज सुनामी आने वाली हो) और कहती हैं -' फिर ओ कौन था जो तुमसे पहले आया था? ' इतना कहकर कनक घबराने लगती है और उसी रात वहा से जाने के लिए कहती हैं। पर विजय फिर समझाता है कि हमे इतनी रात को जाना उचित नहीं होगा। हमे कल ही निकलना होगा, फिर कनक विजय से लिपटकर सो जाती है अगली सुबह होते ही दोनो वहा से बंगले के लिए निकलते हैं और जिस रास्ते आए थे उसी रास्ते को पकड़ अपने कार के पास जाने लगे तभी ओ देखते हैं कि जहां फोटोग्राफर की लास पड़ी थी अब ओ वहा नही है कनक घबराती है और तेज़ी से कार के तरफ़ बढ़ने लगती है फिर दोनो कार के पास पहुंच कर बंगले की तरफ़ निकलते हैं।


और तभी किसी के चिल्लाने की आवाज आती है और विजय नींद से उठता है और भागकर जाता है तो देखता है कि उस बंगले में रहने वाले कुत्ते के मुंह पर खून लगा था जिसे देख कनक चिल्लाने लगती है, कनक के चिल्लाने से कुत्ता वहा से भाग जाता है। फिर विजय कनक को तैयार होने को कहता है और कहता है कि आज हम दोनों जंगल में जायेंगे घूमने के लिए, फिर कनक तैयार होने चली जाति ओर विजय किसी को कॉल करके आने को कहता है और कहता है -' सभी समान के साथ समय से पहुंच जाना और जिनका भी वहा काम है उनको लेके जरूर आना ' ।


फिर विष्णु आता है और उससे विजय शाम का खाना न बनाने के लिए कहता है और साथ में बंगले की सफाई करें के बाद घर जानें को कहता है। विष्णु हां कहकर काम में लग जाता है, फिर ये दोनों कार में बैठ कर जंगल की तरफ़ निकलते हैं और आज वही सब घटनाए होती है जो विजय रात सपने में देखा था फोटोग्राफर का हत्या होना,  झोपड़ी में रुकना, विजय से पहले किसी और का आना, फिर रात बिताना और उसके बाद फोटोग्राफर का लाश गायब होना और उनका अपने बंगले पर आना, बंगले पर वे जैसे आते हैं देखते हैं कि फोटोग्राफर की लाश वहा पड़ी ये देख कनक बहुत ज्याद डर जाती है और बेहोश हो जाती है। फिर अगली पल कनक चिल्ला कर उठती है खुद को बेड पर पाती है और देखती है विजय डॉक्टर से बात कर रहा है फिर डॉक्टर पास आकर उसके कलाई को पकड़ उसके नब्ज़ चेक करता है और विजय से कहता है -' घबराने कि कोई बात नही, अब ये बिल्कुल ठीक है '।


फिर विजय बताता है कि फोटोग्राफर का खून अपने कुत्ते ने किया है अब उसे पशु विभाग वाले ले गए ओ पागल हो गया था, अब डरने की कोई बात नही है।

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"ओ कनक"
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यह कहानी के पात्र और स्थान सभी काल्पनिक है और इस कहानी में हम इस कहानी के नायक के डायरेक्टर बनने तक का सफर तथा उसके प्रेमी अथवा इस कहानी की नायिका का प्रेम में खुद को समर्पित कर देने का सफ़र दिखाया गया है।

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