यह एक काल्पनिक कहानी है जिसके पात्र नहीं किसी घटना अथवा नहीं किसी व्यक्ति से संबंध रखते है, इस कहानी में दो प्रेमियों के प्रेम का वर्णन किया गया है जो कोसी प्रकार से किसी के धर्म अथवा उनके मनोबल को ठेस पहुंचाने का कार्य नही कर रही।
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एक बार की बात है इश्क का बाज़ार लगा था उसमे एक 12 साल का लड़का जिसकी प्यारी सी आंखे किसी हुस्न को छोड़ खिलौने व मिठाइयों पर थी ओ मिठाइयों को चखता फिर लेता मानो जैसे मिठाई के दुकान पर कोई ईमानदार नही ब
अब प्रेम और वर्षा दोनो एक ही शहर में घर को छोड़ पढ़ने के लिए आ चुके थे, आज के दिन ही लखनऊ उनका आना हुआ। प्रेम को राजू छोड़ने आया था प्रेम का सब सामान रूम में व्यवस्थित कराकर राजू शाम वाली ट्रेन से घर
सुबह 4 बजे फोन का रिंग बजता है, प्रेम फोन उठाकर....प्रेम - हैलो...निधि - हैलो प्रेम, पहचाना?प्रेम - तुम इतना सुबह, बोली क्या काम है ?निधि - मुझे तुमसे सिलेबस डिस्कस करना था, जो भी सर पढ़ाए है।प्रेम -