नववर्ष सा उल्लास हो
उस आहट का अहसास हो,
प्रकृति का आह्वान हो
अस्तित्व का विकास हो,
पृकंपन का प्रवात हो
उर में तुम्हारा वास हो,
सामर्थ्य प्रभाव उदित हो
नव उमंग भर तरंगित हो,
उषा लालिमा लोचन में हो
मनोभावना निश्चल सी हो,
कल कल ये करती धार हो
बहता हुआ प्रवाह हो,
तरिंणी तुम्हारे हाथ हो
जीवन नवल पहचान हो,
गतिशीलता भावों में हो
गतिमान जीवन स्व का हो,
अनंत शाश्वत शून्य हो
उस अर्श का आभास हो।