• भूमिका • लेखक के विचार • बर्बरीक जी का बाल्यकाल • महाभारत युद्ध • शीशा का दान• पड़ावों को युद्ध कि सच्चाई बताईं • कलयुग में पुजा का वरदान • मन्दिर निर्माण कार्य •
बैरिक का लॉकअप होते ही जैसे समय थम सा गया। कल तक मुझे केवल अपनी ही परेशानियाँ दिखाई दे रही थीं, लेकिन अब ऐसा महसूस हो रहा है कि समाज के आईने पर जमी धूल धीरे-धीरे साफ होने लगी है। समाज में छिपे स्वार्थ
जेल का दूसरा दिन सुबह की पहली किरण के साथ ही मेरे मन में सबसे पहले माँ, मानसी और अथर्व की चिंता कौंधी। यह सोचकर दिल भारी हो गया कि मेरा परिवार इस अन्याय को कैसे सहन कर रहा होगा। मानसी न बोल सकती ह
मेरे घर का निर्माण कार्य चल रहा था, लेकिन तभी मेरी नानी की तबियत खराब हो गई। उन्हें कैंसर की शिकायत थी और उनका इलाज चल रहा था। मैंने सोचा था कि मेरे घर का निर्माण होने से पहले नानी की तबियत ठीक हो जा
संयुक्त परिवार का महत्व हमारे घर पर एक पुराना लैंडलाइन फोन था। एक दिन अचानक उसकी घंटी बजी। मैंने फोन उठाया तो दूसरी तरफ एक महिला की आवाज आई। उसने मेरा परिचय पूछा, और जब मैंने अपना नाम बताया, तो उसने
🙏 जीवन में आने वाली विषम परिस्थितियाँ कभी-कभी व्यक्ति को निराशा की गहराईयों में धकेल देती हैं, जहाँ उसे लगता है कि अब आगे बढ़ने का कोई रास्ता नहीं बचा है। ऐसी स्थिति में, मन में आत्महत्या जैसे घातक
😞😞😞Injustice😞😞😞 आज मेरी बोर्ड परीक्षा में ड्यूटी थी। कक्षा 10 की वार्षिक परीक्षाएं प्रारंभ हो चुकी थीं। मैं प्रातः शीघ्र ही तैयार होकर केंद्र पर पहुंचा। बच्चे अपने अनुक्रमांक देखकर परीक्षा कक्ष
प्रिय प्रेम (शर्माजी) सप्रेम स्मरण!ज़िंदगी के साक्षात्कार में, सारे जटिल प्रश्न विधाता के हाथ में और तोड़ मरोड़
कहानी एक छोटे से गांव में शुरू होती है, जहां एक अजीब घटनाओं की लहर ने हर किसी की नींद उड़ा दी थी। गांव के लोग दिन-रात बस एक ही सवाल पूछ रहे थे - "क्या हो रहा है?" इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने की कोशिश में
ताजवर ने रात को सुबह 4 बजे का अलार्म लगाकर अपनी पत्नी रेणूका को कहा कि तुम भी अलार्म लगा दो कहीं मैं उसे यह कहकर बंद ना कर दूं कि 10 मिनट बाद उठ जाउॅगा। रेणूका ने भी अलार्म लगा दिया। ताजवर
मेरी लाइफ मे सब अच्छा चल रहा था वर्ष 2020 मे मेरे घर मेरी भाभी के भाई की शादी थी तभी मेरे को बारात मे जाने का मौका मिला पर किस्मत को ये मंजूर नही था क्योकि जिस दिन तिलक होना था उसी दिन मेरे पापा जी
एक लड़की मेरे इतने करीब आकर चली गयी, जैसे कि मुझको मुझसे ही चुराकर चली गयी, उसके बिना मैं खुद को अधूरा - सा समझता हूं, पतंग संग डोरी का रिश्ता निभाकर चली गयी, कुछ अपने थे खिलाफ तब
वो चला गया... मेरे कमरे में आया था कुछ पल सोफे पर बैठे बैठे ही आराम किया... फिर भरी आँखें और भारी आवाज से कहने लगा अपनी दर्द भरी दास्तान... मैं निस्तब्ध रही... फिर उसने एक सिगरेट सुलगाई, और उ
वो एक बहुत ही पुराना बरगद का पेड़ था जिसके बगल से होकर रेलवे लाइन गुजरती है। उससे सटा हुआ रास्ता कच्चा व कीचड़ भरा होने के कारण आदमियों की भीड़ से दूर रहता है। जब से बारहवीं पास करके विद्यालय छोड़ा तब से
आज दिनांक 5 नवंबर 2023 की एक छोटी सी घटना !... ◆ यह छोटा सा संसार मेरा, मुझसे उम्मीदों से जुड़ा हुआ बेटी रूठी हुई थी एक ज़िद्द पर अपनी, उसकी माँ ने उम्मीद से देखा मुझको !! मैं लाचार से खड़ा हुआ, खा
अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें... इंजीनियर अजीत सोनकर अजीत सोनकर का जन्म 1 मई, 1988 को हुआ था। उन्हें एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता, कार्यकर्ता और युवा राजनेता के रूप में मान्यता प्राप्त है, ज
आज जिंदगी ऐसे मुकाम पर खड़ी है ,जहा childhood को प्यार चाहिए, teenage को हर दुख, दर्द,अपमान का बदला और adulthood को बस peace चाहिए।
हर इंसान को कुछ न कुछ तो विरासत में मिलता है,मुझे भी कुछ चीजे विरासत में मिली है ,कुछ क्या बहुत कुछ मिला है,बहुत सारा प्यार मिला तो उस से भी ज्यादा दर्द मिला,शिक्षा मिली,आदर मिला, संस्कार मिला, अपनी म
आत्म ज्ञान एक परिचय- दोस्तों हममें से बहुत से लोगों ने यह बात अवश्य सुनी होगी कि मनुष्य जन्म का उद्देश्य आत्मज्ञान प्राप्त करके मोक्ष प्राप्ति करना है। मनुष्य जीवन में अनेकों संकट और कठिनाइयां पाई जा
हमे भी मोहब्बत है, तुम्हे भी मोहब्बत है।ये कैसी बेवफाई है,जो दोनों की हैना तुम बता सके ना हम सुन सकेकिसी और को सुनाते सुनाते ,किसी के न रह सके।