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जलंधर

20 नवम्बर 2016

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आज जलंधर फिर आया है


हाहाकार मचाने को


अट्टहास करता है देखो


अपना दम्भ दिखाने को



अहंकार के आँगन में


त्रिदेवों को ललकार रहा है


अनुनय- विनय वचन प्रार्थना


सबको ठोकर मार रहा है


आज बहुत चिंघाड़ रहा है


बदला- भाव दर्शाने को ........



नेत्र तीसरा खुला था शिव का


ज्वाला का अम्बार लगा


सागर में बरसी ज्वाला तो


पानी को भी भार लगा


उपजा असुर जलंधर जग में


भय का राग सुनाने को...........






आयोजन सागर- मंथन का


सुर- असुर का साझा श्रम था


रत्न मिलेंगे बाँट बराबर


असुरों को ऐसा ही भ्रम था


अमृत पर संग्राम छिड़ा जब


प्रकट हुई तब एक मोहिनी चालाकी दिखलाने को ..............



भेदभाव से अमृत का


बंटबारा होने वाला था


भांप गए राहू-केतु


पलभर में बदला पाला था


अमृतपान किया दोनों ने


भयमुक्त हुए ग्रीवा अपनी कटवाने को ........





आज जलंधर मांग रहा है


रत्न-सम्पदा सारी लूट


अहंकार के दर्प में डूबा


हर बंधन से गया है छूट


पार्वती को पाना चाहे


शिव का क्रोध जगाने को ...........




दे दी इसको शिव ने शक्ति


विष्णु ने भी झोली भर दी


ब्रह्मा ने भी वरदानों से


इसकी मंशा पूरी कर दी


त्राहि-त्राहि की गूँज उठी है


आत्ममुग्ध हो जुटा हुआ है मन का रूप सजाने को ............




पतिवृत -धर्म निभाने वाली


इसकी पत्नी वृंदा है


त्याग, तपस्या भार्या की है


जिससे अब तक ज़िंदा है


देने अभयदान सृष्टि को


आये शिव रौद्र रूप दिखलाने को..............




विष्णु ने मायाजाल रचा


छल वृंदा से करना था


जलंधर की मृत्यु का


यक्ष-प्रश्न हल करना था


वृंदा को छल का भान हुआ


क्रोधित हो अकुलाई श्राप के बोल सुनाने को....................




भीषण महासंग्राम में शिव ने


आतातायी का वध कर डाला


वृंदा ने अपने तप बल से


विष्णु को पत्थर कर डाला


नारद अब आकर प्रकट हुए


बिगड़ी बात बनाने को ...............




वृंदा आज भी तुलसी बनकर


घर-घर में पूजी जाती हैं


शालिग्राम बन विष्णु की


श्रद्धा से पूजा होती है


रहे जलंधर ध्यान हमारे


युग-युग को समझाने को .................




सहज संतुलन सृष्टि का


रखने को विष्णु- लीला है

पीते -पीते तीक्ष्ण हलाहल


शिव- कंठ अभी तक नीला है


छल, दम्भ, झूठ, पाखण्ड सभी


छाये हैं सत्य दबाने को ..........




उन्मादी माहौल में दबकर


कुछ ऐसे भी न्याय हुए


मानवता को रौंद डालने


शुरू नए अध्याय हुए


अहंकार के अन्धकार में


आये कोई दीप जलाने को .............























































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