हमारे आसपास जो कुछ घटित हो रहा है वह हमें प्रभावित किये बिना नहीं रहता .हम चाहें तो वस्तुस्थिति से आँखें चुरा सकते हैं. शब्द जब विस्फोट की तरह हमारे भीतर से बाहर आता है तो गूढ़ अर्थों से लबरेज़ होता है.
कविता,कहानी और लेख लिखते -लिखते समझ विकसित हुई तो पाया 'जीवनचर्या के लिए केवल लेखन कार्य पर निर्भर रहना नादानी है '.
वर्तमान में मेडिकल लैब टेक्नोलॉजिस्ट के तौर पर नई दिल्ली में निजी संस्थान में कार्यरत . इटावा उत्तर प्रदेश के ग्रामीण