रवीन्द्र सिंह यादव
कविता,कहानी और लेख लिखते -लिखते समझ विकसित हुई तो पाया 'जीवनचर्या के लिए केवल लेखन कार्य पर निर्भर रहना नादानी है '. वर्तमान में मेडिकल लैब टेक्नोलॉजिस्ट के तौर पर नई दिल्ली में निजी संस्थान में कार्यरत . इटावा उत्तर प्रदेश के ग्रामीण अंचल (महाराजपुरा , तहसील चकरनगर ) में जन्म , म. प्र. के कई ज़िलों में रहकर शिक्षा प्राप्ति.आकाशवाणी ग्वालियर म. प्र. से 1992 - 2003 के बीच कविता, कहानी, विशेष कार्यक्रम आदि का नियमित प्रसारण. ग्वालियर से प्रकाशित विभिन्न दैनिक समाचार-पत्रों में लेख व कविताओं का प्रकाशन .ब्लॉग- हिन्दी-आभा*भारत (https://hindilekhanmeridrishti.blogspot.com), हमारा आकाश(https://hamaraakash.blogspot.com)पर सक्रिय.
aaspaas
हमारे आसपास जो कुछ घटित हो रहा है वह हमें प्रभावित किये बिना नहीं रहता .हम चाहें तो वस्तुस्थिति से आँखें चुरा सकते हैं. शब्द जब विस्फोट की तरह हमारे भीतर से बाहर आता है तो गूढ़ अर्थों से लबरेज़ होता है.
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हमारे आसपास जो कुछ घटित हो रहा है वह हमें प्रभावित किये बिना नहीं रहता .हम चाहें तो वस्तुस्थिति से आँखें चुरा सकते हैं. शब्द जब विस्फोट की तरह हमारे भीतर से बाहर आता है तो गूढ़ अर्थों से लबरेज़ होता है.