सुनो मेघदूत!
सुनो मेघदूत!
अब तुम्हें संदेश कैसे सौंप दूँ,
अल्ट्रा मॉडर्न तकनीकी से,
गूँथा गया गगन,
ग़ैरत का गुनाहगार है अब,
राज़-ए-मोहब्बत हैक हो रहे हैं!
हिज्र की दिलदारियाँ,
ख़ामोशी के शोख़ नग़्मे,
अश्क में भीगा गुल-ए-तमन्ना,
फ़स्ल-ए-बहार में,
धड़कते दिल की आरज़ू,
नभ की नीरस निर्मम नीरवता-से अरमान,
मुरादों और मुलाक़ात का यक़ीं,
चातक की पावन हसरत,
अब तुम्हारे हवाले करने से डरता हूँ,
अपने किरदार से कुछ कहने,
अब इंद्रधनुष में रंग भरता हूँ।
© रवीन्द्र सिंह यादव