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जिन्दगी एक जुआ हैं

15 अगस्त 2016

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जिन्दगी एक जुआ की तरह हैं ,जिसमे ताश के पत्तों की तरह जीवन की खुशियाँ बखर जाती हैं .जब तक जीवन में सुखों का अंबार लगा रहता हैं तब तक हमें उन लम्हों अ आभास ही नहीं होता हैं जो हमारी हंसती ,मुस्कराती ,रंग - बिरंगी दुनियां में घुसपैठ कर बैठती हैं और जीवन की खुशनुमा लम्हों की लड़ीबिखर कर ,छितर कर गम हो जाती हैं .जैसे जान में ईन्सान जब तक जीतता रहता हैं तब तक उसे जिन्दगी का एक अरसा गुजर जाने का पता भी नहीं चलता .लेकिन जब हार का आभास होनें पर भी वह आखिरी समय तक दाव लगाना नहीं छोड़ता ,जब तक उसका सब कुछ न लुट जाए .ईसी तरह हम जीवन में दुखों को आखिरी श्वांस लेने तक ,जूझते हुए आखिरी में दम  तोड़ देते हैं .हम अपने जीवन के प्रति दुखों के आते ही हम अपने जीवन को दांव पर लगाते रहते हैं और बिना सोचे ,परवाह किए बगैर हम दुखों के अन्धकार में धसने लगते हैं .और हम जुआरी की तरह नजरियाँ बना लेते हैं .

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खुबसूरत रिश्तों का आधार - मित्रता

7 अगस्त 2016
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गुप्त जी की चंद रचनाओं का विशलेषण

7 अगस्त 2016
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10 अगस्त 2016
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तराजू सम जीवन

11 अगस्त 2016
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म्हारा जीवन तराजू समान हैं जिसमें सुख और दुःख रूपी दो पल्लें हैं और डंडी जीवन को बोझ उठाने वाली सीमा पट्टी हें .काँटा जीवन चक्र के घटने वाले समयों का हिजाफा देता हैं .सुख दुःख के किसी भी पल्ले का बोझ कम या अधिक होनें पर कांटा डगमगाने लगता हैं सुख दुःख रूपी पल्लों की जुडी लारियां उसके किय कर्मो की सू

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जीवनएक अमूल्य धरोहर हैं

12 अगस्त 2016
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 जिंदगी तमाम अजब - अनूठे कारनामों से भरी हैं .ईन्सान अपनी तमाम भरपूर कोशिशों के बाबजूद भी उस पर सवार होकर अपनी मनमर्जी से जिन्दगीं नहीं जी पाता .वह अपनी ईच्छानुसार मोडकर उस पर सवारी नहीं कर सकता .क्योकि जिन्दगीं कुदरत का एक घोडा हैं अर्थात जिन्दगीं की लगाम कुदरत के हाथों में हैं जिस पर उसके सिवाय कि

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जीवन त्योहारों जैसा होता हैं

13 अगस्त 2016
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मौसमों की तरह बदलते जीवन में आपदाओं विपदाओं का आवागमन होता रहता हैं .फिर भी हम जीवन को त्यौहारों ,उत्सवों,पर्वो की तरह जीते हैं .जीवन त्यौहारों जैसा हैं,जिसे हम हंसी ख़ुशी हर हाल में मनाते हैं .जीवन में होली के रंगों की तरह रंग - बिरंगी सुख दुःख के किस्से होते हैं -. कभी नीला रंग खुशियों की दवा देता

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जीवन एक मौसम की तरह होता हैं

14 अगस्त 2016
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ईन्सानी जिन्दगी को कुदरत ने अपने नियमों से उसके पूरे स्प्फ्र को मौसमों की तरह बाँट रखा हैं .क्योकि जिन्दगी एक मौसम की तरह होता हैं .कब उसके जीवन में बसंत भार कर दे की मनुष्य सब विपदाओं से मिले दुखित नासूर को भूलकर एक रंग - बिरंगी सपनों की दुनियां की मल्लिका बना दे .और कब यह हरा - भरा जीवन सुखी जीवन

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15 अगस्त 2016
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