जिन्दगी एक जुआ हैं
जिन्दगी एक जुआ की तरह हैं ,जिसमे ताश के पत्तों की तरह जीवन की खुशियाँ बखर जाती हैं .जब तक जीवन में सुखों का अंबार लगा रहता हैं तब तक हमें उन लम्हों अ आभास ही नहीं होता हैं जो हमारी हंसती ,मुस्कराती ,रंग - बिरंगी दुनियां में घुसपैठ कर बैठती हैं और जीवन की खुशनुमा लम्हों की लड़ीबिखर कर ,छितर कर गम हो ज