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कन्या पूजन !

28 सितम्बर 2017

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आ गई फिर से शारदीय नौरात्र
! चारों तरफ धूम मची है, माँ के स्वागत की तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही हैं | अब घर-घर माँ की स्थापना होगी, उनकी पूजा अर्चना में कोई भी कोई कसर नही उठा रखेगा | हर कोई आपने-अपने स्तर पर माँ को प्रसन्न करने का हर सम्भव प्रयास करेगा | फूल, फल, मेवा, वस्त्र, धूप, दीप, नावैद्य आदि अर्पित कर माँ की सुबह शाम आरती उतारी जायेगी और अंत में कन्या पूजन कर माँ से आशीर्वाद की कामना; यही तो होता है हर नवरात्र में ! वर्ष में दो नवरात्र पड़ते हैं जिसमे सभी जुट जाते हैं माँ को प्रसन्न करने में | बचपन से ये सब देखती आ रही हूँ जो आज भी जारी है | कन्याओं को खींच-खींच कर लाना और उन्हें तरह-तरह के व्यंजन खिला कर दक्षिणा दे उनके पाँव छू अपनी पीठ पर उनके हाथ रखवा कर प्रसन्न हो जाना कि उन्हें अब माँ का आशीर्वाद मिल गया है; व्रत पूर्ण हुआ उनका !
ये कहानी उस देश की है जहाँ नवरात्र में तो कन्या को देवी का स्वरूप मान कर पूजा जाता है; पर उसके बाद उसी कन्या का यौन शोषण होता है, उसी कन्या
की गर्भ में ही हत्या कर दी जाती है | स्त्री को देवी मान कर पूजने वाले ही स्त्रियों के ऊपर अत्याचार कर उसे जिन्दा लाश में बदल देते हैं | कभी झूठे प्रेम में तेज़ाब से झुलसा कर तो कभी तमाम बंदिशों में जकड़ कर उसे मर-मर कर जीने को विवश कर देते हैं | आखिर ये दोहरा चरित्र क्यूँ ?
बचपन से ले कर आज तक कई बार मैंने कन्या भ्रूण को कभी कुत्तों से नुचते हुए तो कभी नहर में झाड़ियों में फँसे हुए तो कभी गठरी में बंधे हुए घूरे के ढेर पर देखा है हर बार ये दृश्य देख कर अंतर्मन चीत्कार कर उठा है, अब भी जब तब अखबारों के मध्याम से खबर पढ़ने को मिल जाती है कि आज फला स्थान पर कोई नन्
हीं बच्ची छोड़ गया है | क्या इनमें से वो लोग नहीं होंगे जो नवरात्रों में दौड़-दौड़ कर एक दूसरे से छीन-झपट कर कन्याएँ घर लाते हैं और उनसे अपनी पीठ पर हाथ रखवा कर प्रसन्न होते हैं ? जब कन्याओं से इतनी घृणा है तो ये दिखावा क्यूँ ? ये सब करने से क्या माँ प्रसन्न हो जाती हैं ?
वो पुरुष जो अपनी पत्नियों को घरों में नजरबन्द रखते हैं, उन्हें खाने पहनने को तो कमी नहीं होने देते पर उनकी इच्छा, उनके अधिकार, उनकी भावनाओं को दिन रात कुचलते रहते हैं, उन पर तमाम तरह की बंदिशें लगाते हैं और अपने पुरुषत्व को दिखने के लिए उन्हें बात-बात पर प्रताड़ित करते हैं, वही पुरुष घन्टों माँ के चित्र के समक्ष आसन लगा कर अनेकों मंत्रों से माँ को प्रसन्न करते हुए दिखाई देते हैं | घर के किसी कोने में जिसकी बूढ़ी माँ सिसक रही हो या पत्नी अत्याचार सहते हुए जिंदगी को बोझ की तरह ढोने को मजबूर हो; ये पुरुष माँ की मूर्ति के समक्ष घंटों उपासना करते हैं ! क्या प्रसन्न हो जाती है माँ ?
| क्या ऐसे लोगों की उपासना सार्थक होती हैं ? क्या माँ प्रसन्न होती हैं ?
झूठे प्रेम का ढोंग कर कुछ युवा अपनी प्रेमिका का विवाह किसी और से होते देख या प्रेम निवेदन ना स्वीकारे जाने की स्थिति में प्रेमिका का मुँह तेज़ाब से झुलसा देते हैं | एक पूरा जीवन तिल-तिल कर मरने के लिए छोड़ वह कुछ समय बाद किसी और से विवाह कर अपना सुखमय जीवन व्यतीत करते हैं | क्या इनकी पूजा माँ स्वीकारती हैं ?
बहुत से प्रश्न हैं मन में पर किसी का उत्तर नहीं मेरे पास |
जहाँ हर मिनट कहीं ना कहीं स्त्रियों का शोषण होता हो, नाबालिग बच्चियों का बलात्कार होता हो,
स्त्रियों पर अत्याचार होता हो, गर्भ में कन्याभ्रूण हत्या होती हो, जहाँ अपने ही घर में स्त्रियों को सम्मान ना मिलता हो, जहाँ तेज़ाब से उनका मुख झुलसा दिया जाता हो, जहाँ कन्या जा जन्म पड़ोसी के घर हो; पर उनके घर नहीं, ऐसे विचारधारा के लोग हों, वहाँ कन्या पूजन ढोंग ही लगता है |
ऐसे बहुरूपियों को माँ सही मार्ग दिखाएँ, उन्हें सद्बुद्धि दें, उन्हें स्त्री के लिए सम्मान की भावना दें, यही कामना करती हूँ माँ अम्बे से | जय माता दी !

मीना




अजीत सिंहः

अजीत सिंहः

जब हमने मान लिया पत्थर पूजने से मुक्ति मिल जाती है ( और सार्वजनिक मंचों पर इसे श्रद्धा,आस्था,भक्ती जैसे नाम दिये जाते हैं) तो फिर जीवितों का मान करो या अपमान.... क्या फर्क पडता है...!

30 सितम्बर 2017

रेणु

रेणु

आदरणीय मीना जी -- समाज के दोहरे चरित्र को उजाकर करता आपका ये लेख सचमुच विचारोत्तेजक है और सच्चाई के बिलकुल पास है | आडम्बर पूर्ण पूजा पद्धति की पोल खोलते इस लेख में आपने बहुत ही सटीकता से जो बातें कही उनसे पूर्णतय सहमत हूँ | जो लोग अजन्मी कन्या की ह्त्या करते हैं और नारी वर्ग को किसी भी रूप में प्रताड़ित करते हैं उन्हें दुर्गा पूजा का कोई अधिकार नहीं है | यदि वे ऐसा करते हैं तो माँ दुर्गा उनसे खुश कभी नहीं होगी | इस चिंतन परक विषय पे लेखन के लिए आपको बधाई देती हूँ साथ ही नवरात्रों की अनेकानेक शुभकामनायें प्रेषित करती हूँ |

28 सितम्बर 2017

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