अभी अन्नदाता का दर्द कम नही हुआ था कि आज फिर से आसमान मेँ बादलों ने डेरा जमा लिया है अन्नदाता का कलेजा फिर से तेज धङकने लगा है क्योंकि उसकी साल भर की कमाई खेतों मे पङी है लेकिन यही बादल कुछ लोगों को सुहाना लग रहा होगा सरकार किसानो को मुवावजे के नाम पर धोका दे रही है