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कहानी : किताबों से दोस्ती

9 जुलाई 2023

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सुनील और नरेश की वार्षिक परीक्षाएँ खत्म हो चुकीं थीं । दोनों के पेपर अच्छे हुए थे और दोनों अपने अच्छे परिणाम को लेकर आशास्वत थे। दोनों एक ही कालोनी में रहते थे और दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। दोनों ही किताबें पढ़ने के शौकीन थे। उनके पास गर्मी की छुट्टियाँ बिताने के लिए अपने-अपने संग्रह से जमा की गईं कई शिक्षाप्रद, मनोरंजक किताबें थीं। इनमें से अधिकांश किताबें अपने-अपने कलेक्शन की वे पूरी पढ़ चुके थे लिहाजा उन्होंने एक-दूसरे की किताबें बदलकर पढ़ने का फैसला किया लेकिन तभी सुनील ने नरेश को बताया कि क्यों न हम आसपास के सभी बच्चों को अपने 'किताब- अभियान' में शामिल करें जिससे वे बच्चे, जो सारा दिन छुट्टियों में या तो मोबाइल में बिताते हैं या मटरगश्ती करने में, भी किताबों से ज्ञानवर्धन और मनोरंजन करके अपना समय सदुपयोग करेंगे और अन्य सभी को भी किताबों' को दोबारा पढ़ने की आदत विकसित करने में हमारी मदद करेंगे। सुनील का ये  सुझाव नरेश को भी पसंद आया । दोनों के पास रंगीन चित्रों वाली बच्चों की मनपसंद कहानियों की ढेर सारी किताबें संग्रहित थीं, लिहाजा उन्होंने सुबह और शाम कालोनी की खाली जगह पर स्टॉल लगाकर बच्चों को किराए पर पुस्तकें पढने के लिए देना शुरू कर दिया। शानदार कवर, साफ- सुंदर पृष्ठ वाली किताबें और दोनों की मधुर किताबें पढ़ने की प्रेरित करने वाली वक्ता-शैली ने बच्चों को ही नहीं, बड़ों को भी आकर्षित किया। वे भी मोबाइल पर किताबें पढ़‌कर बोर हो गए थे, उन्हें अपने बचपन के दिनों में पढ़ी गई इन शिक्षाप्रद और मनोरंजन किताबों को इन बच्चों के पास साफ-सुधरे ढंग से सहेजकर रखना और किताबों की आदत विकसित करने का ये अभियान काफी पसंद आया। अब सभी कालोनीवासी सुनील और नरेश के 'पुस्तकों से करें दोस्ती' अभियान में शामिल हो चुके थे।

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