कल रात जब मैंने एक फेसबुक मित्र से "कुछ तुम्हारे
लिए" के बारे में पूछा तो जवाब एक सवाल के रूप में आया....
'मैं/कोई
तुम्हारी किताब क्यों पढ़े ?
इस सवाल ने उन दिनों की
याद दिला दी जब प्रतियोगी परीक्षाओं के इंटरव्यू की तैयारी कर रहा था और इंटरव्यू
दे भी रहा था । इसी सवाल से मिलता जुलता एक सवाल वहां भी पूछा जाता था ।
'हम
आप को क्यों चुनें ?' या 'आप
इसी क्षेत्र में नौकरी क्यों करना चाहते हैं ?'
अब कोई भी बेरेजगार इस सवाल का जवाब दर्जनों बोतल सेवन
अप पीने के बाद भी ईमानदारी से नहीं दे सकता । जवाब तो सीधा सा है कि भाई हर जगह
ट्राई मार रहे कटिया फ़साने की । किसी भी तार में फसे तो पहले , लाईन चालू हो वोल्टेज
और लोड की चिंता बाद में करेंगे ।
हर जगह एग्जाम दिया है । इसमें पास कर गया और इसका
इंटरव्यू भी पहले आ गया सो इसी में आना चाहते हैं । नौकरी की जरूरत है । रहा सवाल
क्यों ले तो भाई तुमको एक नौकर की तलाश है और हमें काम की । अब काम राम करे मोहन
करे सोहन करे या अमिताब बच्चन काम जो दो गे वही करेगा और जहां तक बात कम या ज्यादा
काम करने की है तो मालिक तुम हो , माई
बाप हो , डण्डा
चलाना खूब जानते हो इसलिए कम काम तो तुम लोगे नहीं फिर मेरे कम करने का सवाल नहीं
उठता ।
ये है ईमानदारी वाला जवाब , पर इंटरव्यू लेने वाली
की आँखे देखने के बाद हम चापलूसी करने लगते है । उसे अपनी वर्क एफिशिएंसी, स्मार्टनेस डिफरेंस
बिटवीन हार्ड वर्क और स्मार्ट वर्क की बातों से रिझाने लगते हैं जो जायज भी है
आखिर रिश्ते का सवाल है । शादी के पहले थोड़ा रिझाना, शर्माना और डरना तो
पड़ता है ।
खैर इन बातों का कल रात के सवाल के जवाब से कोई सम्बन्ध
नहीं । उस सवाल का जवाब बिल्कुल ही सीधा और ईमानदारी वाला है वो भी बिना सेवन अप
पिए ।
सवाल :- आप मेरी किताब "कुछ तुम्हारे लिए"
क्यों पढ़े ?
जवाब :- क्योंकि किताब पढ़ने के लिए लिखी जाती है । वैसे
कुछ तुम्हारे लिए में ऐसा कुछ नहीं जिसे पढ़ कर आप सात दिनों में दुनिया या खुद को
बदलने का सपना दिखने लगेंगे । ना ही ये आपको स्पोकन इंग्लिश या हिंदी का कोर्स में
ही काम आने वाली है । फिर ???
फिर
कुछ नहीं । इसे सिर्फ इसलिए पढ़े की हर एक लिखने वाला चेतन भगत या कुमार विस्वास
नहीं होता पर हर कुमार विस्वास या चेतन भगत एक पाठक होता है । लिखने वाले ने अच्छा
लिखा, बुरा
लिखा या रद्दी की टोकरी में डालने लायक लिखा ये तय आपको करना है क्योंकि अपनी दही
को खट्टा कोई नहीं कहता ।
सवाल :- आखिर इस किताब में ऐसा क्या है ?
जवाब :- प्यार ।
ये
मैं नहीं बोल रहा । जिन लोगो ने इसे पढ़ा है मैं उनकी जबानी बोल रहा । मेरे हिसाब
से हर किताब समुन्दर होती है । गोता लगाने वाले को क्या मिलता है ये तो उसके बाहर
आने के बाद ही पता चलेगा । वैसे एक बात पक्के तौर पर कह सकता हूँ । किताब में मैं
मिलूं या ना मिलूं किसी न किसी लाईन में खुद को जरूर पा लोगे ।
सवाल :- कितनी कॉपी बिकी ?/ कितनी कमाई हुई ?
जवाब
:- पता नहीं । मैंने नहीं पूछा और जरूरत भी नहीं समझता । पैसे कमाने को किताब
लिखनी है ये तो सोचा ही नहीं था । पहले ही कहा है मैं चेतन भगत नहीं हूँ ।
अब अगला सवाल किताब पढ़ने के बाद पूछना । तब तुम्हारे पास
ज्यादा सवाल होंगे और मेरे पास जवाब ।फिलहाल लिंक ये रहा । उम्मीद है किताब पढ़ोगे
। फिर भी मन में कोई संशय हो तो इनबॉक्स कर दो । जवाब ईमानदारी वाला ही मिलेगा ।
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