भूमिका लिखना किताब लिखने से ज्यादा मुश्किल काम है । उसपर भी कविताओं के लिए, मतलब आपको एक बड़ी जिम्मेदारी दी गई हैं ।
कविता क्या है और इसकी परिभाषा क्या होनी चाहिए इस सवाल को लेकर साहित्यकारों की बिरादरी आजतक एक मत नहीं हो पाई है । तुकांत, अतुकांत, रबड़ छंद और न जाने किन किन प्रकारों में बांटा गया है इसे । इसके इतने भेद हैं की लिखने वाला हर वो व्यक्ति जो पहली बार लिख रहा समझ ही नहीं पाता कि उसने जो लिखा वो कविता ही है । दरअसल इस क्षेत्र को इतना कॉंप्लिकेटेड हमने ही बनाया है । कहानियों के साथ ऐसी बात नहीं । पर, जब हम बोलते हैं कि मैंने एक कविता लिखी है तो सामने वाले के दिमाग में गीत या गजल का फोल्डर खुल जाता है । उसके लिए कविता का मतलब बस यही है । आम मन यह सोच ही नहीं पाता की गर्म तवे के ऊपर पड़ने वाली पानी की बूँद और उसकी छछनाहत भी कविता हो सकती है । इसे समझता है तो कवि का हृदय । इसलिए कविताओं के समझ पाना तब तक मुश्किल है जब तक हम उन भावनाओं को न समझे जिनमे कविता लिखी गई । कविता आगे बढ़ते हुए एक माहौल बनाती है और हम उस माहौल में जितना अधिक घुलेंगे वो हमे उतना ही आनंदित करेंगी ।