इतिहास जब वर्तमान से संदर्भ ग्रहण करता है तो एक ऐसा शे`र होता है, जो अपने समय का मुहावरा बन जाता है। प्रताप सोमवंशी का यह शे`र कुछ उससी तरह का आम-अवाम का हो चुका है। प्रताप के कुछ और अश्आर को सामने रखकर देखें की हमारा कवि हमें अपने निजी अनुभव कहाँ तक शरीक कर पता है। ये शे`र पहली ही नज़र में आँख के रास्ते दिल में उतार जाते हैं। Read more