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कोख का कष्ट

6 दिसम्बर 2016

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सुनो मम्मी सुनो पापा तुम्हारी गुड़िया रानी हूँ

जो भैया की कलाई पर बंधे राखी सुहानी हूँ


मैं नन्हें दिल के सपनों से इसी आँगन में खेल ूंगी

नहीं मारो मुझे तुम कोख में दुनिया मैं देखूंगी

तुम्हारे प्यार के लम्हों की मैं भी इक निशानी हूँ


सुनो मम्मी सुनो पापा तुम्हारी गुड़िया रानी हूँ

जो भैया की कलाई पर बंधे राखी सुहानी हूँ


वो डॉक्टर चन्द रुपयों में मेरे अंगो को काटेगा

मैं भय से कांप जाती हूँ मुझे टुकड़ों में बाँटेगा

बहा देगा तुम्हारे खून को या फिर मैं पानी हूँ


सुनो मम्मी सुनो पापा तुम्हारी गुड़िया रानी हूँ

जो भैया की कलाई पर बंधे राखी सुहानी हूँ


मेरे बालों को दो छोटी सी चोटी से सजा देना

नज़र न लग सके माथे पे काजल भी लगा देना

अभी बचपन तो जीने दो तुम्हारी ही जवानी हूँ


सुनो मम्मी सुनो पापा तुम्हारी गुड़िया रानी हूँ

जो भैया की कलाई पर बंधे राखी सुहानी हूँ


मैं उलझे बाल सुलझाऊंगी माँ सर भी दबाऊँगी

सुनूँ पापा की आहट दौड़ कर पानी ले आऊँगी

करो पूरी लिखी तुमने अधूरी इक कहानी हूँ


सुनो मम्मी सुनो पापा तुम्हारी गुड़िया रानी हूँ

जो भैया की कलाई पर बंधे राखी सुहानी हूँ


यूँ रोकर पेट सहलाकर माँ ममता को नहीं बांधो

अगर मुझको बचाना है तो फिर मर्यादा भी लांघो

बिताया वक़्त तुमने साथ माँ यादें पुरानी हूँ


सुनो मम्मी सुनो पापा तुम्हारी गुड़िया रानी हूँ

जो भैया की कलाई पर बंधे राखी सुहानी हूँ


अगर बेटी नहीं होंगीं तो फिर बेटे नहीं होंगे

रुलाउंगी तुम्हें आंसू मगर खुशियों के ही होंगे

जो होंठो पर हंसी लाये वही आँखों का पानी हूँ


सुनो मम्मी सुनो पापा तुम्हारी गुड़िया रानी हूँ

जो भैया की कलाई पर बंधे राखी सुहानी हूँ


अगर डर है की बेटी संग में दौलत ले जायेगी

बुरी नज़रों से कैसे वो भला खुद को बचायेगी

सुनो मैं इक खजाना हूँ,कोई दरिया तूफानी हूँ


सुनो मम्मी सुनो पापा तुम्हारी गुड़िया रानी हूँ

जो भैया की कलाई पर बंधे राखी सुहानी हूँ


हुआ आकाश बेटी का हुई धरती ये बेटी की

खबर अखबार में पढ़ते रहे तुम रोज बेटी की

मुझे बहने दो मत रोको मैं नदिया की रवानी हूँ


सुनो मम्मी सुनो पापा तुम्हारी गुड़िया रानी हूँ

जो भैया की कलाई पर बंधे राखी सुहानी हूँ


वैभव दुबे

बी.एच.ई.एल

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