तू मेरा दर्पण है माँ।
हृदय,श्वांस और रक्त कणों का
चरणों मे समर्पण है माँ।
मुझको मुझसे ही मिलाया
तू मेरा दर्पण है माँ।
वाणी,वाग्देवी,वागीश्वरी,
शारदा,नाम तेरे अनेक हैं।
शब्द तेरे ही दिए हैं
तुमको ही अर्पण है माँ।
मिट गया अँधियारा मन का
जबसे तेरा नाम लिया।
जब भी डूबा भवसागर में
तूने आ के थाम लिया।
मोह-माया,अधर्म,व्यस