मैं कृष्ण बना
आप सभी कविगण व लेखकों से क्षमा चाहूँगाअत्यधिक व्यस्तता के कारण आप लोगों केबीच नहीं आ सका..आज अपनी पहली हास्य कविता जो 3 वर्ष पहले लिखी थी ,के साथ उपस्तिथ हूँ....इक रोज मैंने सोचा मैं कान्हा बन के जाऊँदिल का तार छेड़े ऐसी धुन मैं छेड़ जाऊँदृढ़ निश्चय पे अडिग हो है मन में मैंने ठानीकि गोपियों के साथ मैं