जरा सा तुम झुक जाओ जरा सा तुम रुक जाओ देखना फिर एक दिन अभिमान तुम्हारा मिट जाएगा स्वाभिमान कहीं नहीं जाएगा जरा जरा सा झुक जाना तुम गरुर बस मिट जाएगा कोई जब तुम अपने कदमों में झुक जाना झुकने का कभी अभिमान ना आ पाएगा मिट जाना है सब एक दिन है कुदरत का यही नियम है जो आया है जाएगा दुनिया एक किराए का घर है एक ना एक दिन जाना पड़ेगा फिर काहे का अभिमान करे तू मिट्टी का है मिट्टी में मिल जाएगा यह कुदरत का नियम है जो आया है जाएगा
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