ठीक 13 वें साल गुरु के सिंह राशि में प्रवेश होते ही नासिक में बहुप्रतीक्षित ‘महाकुंभ’ मेले की शुरुआत हो गयी। केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने भारी सुरक्षा के बीच मंत्रोच्चार और परंपरागत ध्वजारोहण के साथ मेले का उद्घाटन किया.गौरतलभ है की नासिक का सिंहस्थ महाकुंभ देश के चारों सबसे कुंभ स्थलों में सबसे छोटा है,जिसका विस्तार महज 200 एकड़ में है। इस बार नासिक कुंभ में करीब 1 करोड़ लोगों के स्नान की उम्मीद लगायी जा रही है। फिलहाल हम आपके लिए लेकर आये हैं ‘नासिक कुम्भ मेले’ से जुड़े बेहतरीन तथ्य
1)भारत में कुंभ मेला चार स्थानों पर आयोजित किया जाता है – इलाहाबाद, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। हरिद्वार (उत्तराखंड) में,जहाँ पवित्र गंगा शक्तिशाली हिमालय से मैदानों में प्रवेश करती है,इलाहाबाद में गंगा,यमुना और सरस्वती के संगम स्थल पर, ऐतिहासिक उज्जैन नगरी में पवित्र क्षिप्रा नदी के तट और महाराष्ट्र के विख्यात नासिक नगर में गोदावरी नदी के तट पर हर 12 वर्ष बाद मनाया जाता है
2)खगोलीय दृष्टिकोण से हरिद्वार, प्रयाग, नासिक और उज्जैन में सदियों से हर तीसरे वर्ष अर्ध या पूर्ण कुम्भ का आयोजन किया जाता है। यह मूल रूप में बृहस्पति और सूर्य ग्रह की स्थिति के आधार पर तय होता है। नासिक महाकुम्भ जब गुरु सिंह राशि पर स्थित हो तथा सूर्य एवं चंद्र कर्क राशि पर हों,तब नासिक में कुम्भ मेला आयोजित किया जाता है। यह स्थिति हर 12 वर्ष बाद आती है।
3)नासिक महाकुम्भ 2015 में अखाड़ों का ध्वजारोहण साधुग्राम में 19 अगस्त को और प्रथम शाही स्नान 29 अगस्त 2015 को आयोजित किया जाएगा। दूसरा शाही स्नान 13 सितंबर और अंतिम शाही स्नान 18 सितंबर 2015 को आयोजित किया जायेगा.इस तरह पूरे ढाई महीने भक्त ‘कुम्भ’ मेले में आस्था की डुबकी लगाते रहेंगे।
4)महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम ने कुंभ के आयोजन पर 3,000 विशेष बसें मुहैया कराई हैं। जबकि रेलवे ने हर 20 मिनट में ट्रेनों की व्यवस्था की है। विशेष रूप से 36 रेलें चलायी जा रहीं हैं।
5)338 एकड़ के क्षेत्रफल में साधुओं के ठहरने का प्रबंध करने के लिए ‘साधुग्राम’ बनवाया गया है.’साधू ग्राम’ में तंबुओं शौचालय,पेयजल,और बिजली की बेहतरीन व्यवस्था की गई है।
6)मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट SBM(स्वच्छ भारत मिशन) का प्रभाव नासिक कुम्भ आयोजन पर साफ़ तौर पर देखा जा सकता है.कुंभ में प्लास्टिक पर पूर्णतः प्रतिबंधित होगा इसलिए लोगों के लिए ‘थैलों’ की व्यवस्था की गयी है।
7)हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार देवताओं और राक्षसों के बीच पौराणिक काल में हुए अमृत मन्थन के दौरान अन्य दिव्य पदार्थो के समान ही अमृत से भरा एक ‘कुंभ’ भी निकला। असुर अमृतपान कर अमर हो जाना चाहते थे। दैत्यो ने अमृत कलश को देवताओं से छीनने की कोशिश की तो देवराज इन्द्र का पुत्र ‘जयन्त’ इस अमृत कलश को लेकर भाग निकला।
8)राक्षसों ने कलश प्राप्त करने के लिए जयंत का पूरे ब्रह्माण्ड भर में पीछा किया.जयन्त तीनो लोकों में भागता रहा। इस भागदौड के दौरान आकाश से अमृत गिरा वहाँ प्रत्येक 12 वर्ष बाद कुम्भ पर्व मनाया जाता है।
9)नासिक में कुंभ मेला बड़ी उत्सुकता, से मनाया जाता है। बड़े पैमाने पर तीर्थयात्री अपने पापों और त्राश को दूर करने के लिए पवित्र नदी गोदावरी में स्नान करते है। रामकुंड और कुशावर्त इन दो पवित्र स्नान घाटो में आस्था और विश्वास के साथ स्नान करते है।
10)सरकार ने इस आयोजन हेतु 2378 करोड़ रुपए का बजट रखा है। पूरा नासिक को 348 सीसीटीवी कैमरों की जद में रखा गया है। चप्पे-चप्पे पर नजर रखने के लिए विशेष तौर पर पुलिस कंट्रोल रूम तैयार किया गया है।