आज से 42 साल पहले इस देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने इस देश में इमरजेंसी लगाई थी| जिसमे विरोधी दल के नेताओ ,पत्रकारों, और सरकार के खिलाफ बोलने वालो को जेल मे डाल दिया गया | किसी को भी सरकार के खिलाफ बोलने की आज़ादी नहीं थी | देश के कही अखबारों को बंद कर दिया गया ,कुछ अखबारों ने सरकार की चमचागिरी की तो कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने सरकार के गलत कामो के खिलाफ आवाज उठाई | ऐसा ही एक अख़बार था इंडियन एक्सप्रेस जिसने इमरजेंसी का विरोध करने के लिए अपने सम्पादकीय पेज पर एक बड़े काले बिंदु से इमरजेंसी का विरोध किया और जब सरकार पत्रकारों को काम नहीं करने दे रही थी और अखबारों को बंद करा रही थी तब इंडियन एक्सप्रेस के संपादक बीबीसी की न्यूज़ रात सुनकर अगले दिन अखबार में छापते थे |
मुझे लगता की आज फिर इस देश में इमरजेंसी का माहौल है जहां सरकार के खिलाफ कुछ भी बोलने वाले को एंटी नेशनल बोल दिया जाता है , न्यूज़ चैनल पर बैन लगाने की कोशिश की जा रही है , जो न्यूज़ चैनल सरकार की है में है नहीं मिला रहे है उनके ऊपर सीबीआई के छापे मारे जा रहे है तो मेरे हिसाब से तो ये भी इमरजेंसी है जिससे हम सबको निकलना होगा और वो तभी संभव है जब हम सब अपने हक़ को जाने और उसके लिए लड़े |