क्या तुझे भी इश्क है? (भाग-2)
भाग-2. हैण्डसम विहान
मुंबई की गोरेगांव फिल्म सिटी में एक ऐड फिल्म की शूटिंग हो रही है. सेट तैयार हो चुका है जिसके बाद ऐड शूट करने के लिए मोडल को डायरेक्टर आवाज देता है.
-मिस अदिति.. प्लीज कम हीयर..
उसने जैसे ही आवाज दी, एक बड़े से अम्ब्रेला के नीचे बैठी एक सुंदर लड़की खड़ी होती है जिसकी उम्र करीब पच्चीस साल थी. वही अदिति थी. वो खड़ी होकर उसकी तरफ आती है. उसने जूस का गिलास जिसमें से वो जूस पी रही थी को दूर रख दिया.
-जी सर..
उसने मुस्काते हुए कहा और अपने बालों में हाथ फिराया.
-सेट रेडी हो चुका है.. आपने अपनी लाइन्स रेडी कर ली हैं?
-जी सर कर ली हैं..
-ग्रेट.. अरे विश्वजीत..
उसने अपने असिस्टेंट को आवाज दी.
-जी सर..
-विहान को बुलाओ. क्या वो रेडी हो गया है?
-जी सर. वो रेडी हो गये है. ही इज जस्ट कमिंग.
उसने मुस्काते हुए कहा ही था की इतने में ब्लू जींस पेंट, व्हाईट शर्ट और ऊपर ब्लू जैकेट पहने विहान उनकी तरफ आता है. उम्र यही कोई पैंतीस वर्ष पर वो पैंतीस का लगता नहीं था. उसने अपनी आँखों पर गोगल्स लगा रखे थे. लम्बी कद काठी, और जबरदस्त फिजिक के चलते वो बेहद आकर्षक लग रहा था. उस एक्ट्रेस की नजरें उस पर गड़ी की गडी रह गईं. वो दिखने में बेहद हैण्डसम था.. और यही वजह थी की वो देश के टॉप मॉडल्स में गिना जाता था. वो एक्ट्रेस उससे काफी इम्प्रेस हो गई थी. आखिर उसका पहला ही तो ऐड शूट था और उसमें भी उसके साथ टॉप का मोडल विहान खुराना था. कुछ ही देर में उन दोनों ने ऐड को शूट कर लिया जिसके बाद विहान ने अपना जैकेट उतारकर हाथ में ले लिया. उसने डायरेक्टर से कहा.
-ओके सर... अभी मुझे ब्लू पर्पल स्टूडियो के लिए निकलना होगा. आपका काम हो गया है तो मैं चलूं..
-जरुर विहान.. यू आर रियली वैरी नाईस. मुझे तुम्हारे साथ काम करके अच्छा लगा. इफ यू वोंट.. क्या तुम कल मेरे घर डिनर करने आ सकते हो.?
-sure सर.
-थैंक यू विहान. मैं अपना चेक तुम्हें भिजवा दूँगा.
-जी सर.
उसने मुस्काते हुए कहा और उसके बाद वो जाने लगा. वो मोडल उसके पीछे दौड़ी.
-सर... सर...
-जी...
विहान ने गोगल्स लगाते हुए उसकी तरफ देखा.
-वो मैं भी ब्लू पर्पल स्टूडियो जा रही थी क्या आप मुझे वहां छोड़ देंगे?
-sure!
-थैंक यू.. थैंक यू सो मच सर..
वो मुस्काते हुए बोली. हालाँकि पता नहीं क्यों विहान मन में क्या सोच रहा था जो उसने उससे ज्यादा बात नहीं की. उसने बिना बोले अपनी गाड़ी के दरवाजे को खोला और उसके बाद गाड़ी स्टार्ट कर ली. इधर दूसरी तरफ वो मोडल उसके साथ आगे की ही शीट पर बैठ गई.
-सर.. माय नेम इज अदिति. अभी कुछ दिन पहले ही दिल्ली से आई हूँ. दिस इज माय फर्स्ट ऐड शूट. यू नो इंडस्ट्री में काम मिलना कितना मुश्किल है.
-जी ये तो है. पर हार्ड वर्क करते रहोगे तो नाम बना ही लेंगी आप. यू आर लूकिंग ब्यूटीफुल एंड अट्रेक्टिव आल्सो.
-थैंक यू सो मच सर..
-वेलकम... वैसे आप ब्लू पर्ल स्टूडियो क्यों जा रही हैं?
-वो सर मुझे कास्टिंग डायरेक्टर सुधीर शर्मा ने मुझे बुलाया है. मुझे एक और ऐड मिली है. सच में छ महीने के बाद जाकर काम मिलना स्टार्ट हुआ है. अब जाकर थोड़ा अच्छा लगने लगा है. मुझे तो समझ नहीं आ रहा है वो दिन कब आएगा जब आपके जैसे मेरे पास भी खुद की कार होगी? मेरे भी आने से पहले मेरा शूट पर वेट किया जाएगा! मैं भी आपकी तरह देश के टॉप मोडल्स में गिनी जाउंगी. और... और...
-प्लीज स्टॉप दिस..
उसने गुस्से में जोर से कहा और उसके बाद गाडी को रोक दिया.
-सर रियली वैरी सॉरी.. आपको गुस्सा आ गया.
-लुक इन्टू माय आईज.. तुम्हें क्या लगता है मैं मुंबई सिर्फ मोडल बनने के लिए आया था.. नो.. बिलकुल नहीं.. आई वोंट टू बिकम एन अ लिस्टर एक्टर. बट इन लोगों ने मुझे मोडल बनने पर मजबूर कर दिया.
उसने इतनी जोर से बोला कि अदिति हिल सी गई.
-रियली सॉरी सर. आपको मेरी बातें बुरा लग गईं.
-कोई बात नहीं. लोगों को हमेशा दूसरे लोगों की सक्सेस अच्छी लगती है लेकिन क्या वो खुद को उतना सक्सेसफुल समझते हैं जितना लोग उन्हें समझते हैं? ये बात जानना बहुत जरुरी है.
उसने गाड़ी को फिर से स्टार्ट करते हुए कहा और उसके बाद वो ब्लू पर्ल स्टूडियो की तरफ निकल पड़ा. अदिति की हार्ट बीट्स अब भी तेज हो रखी थी. वो आगे कुछ भी बोलना नहीं चाहती थी क्योंकि उसे इस बात का डर लग रहा था कि अगर वो कुछ बोलती है तो फिर कहीं दुबारा उसे गुस्सा ना आ जाए.
शाम के करीब चार बज रहे हैं. शिवाक्षी अपने कमरे में गुमसुम सी बैठी है. उसने अपने हाथ में मोबाइल ले रखा है लेकिन वो उसे चला नहीं रही है. कुछ ही देर बाद उसकी माँ उसके कमरे की तरफ आती है. उनके क़दमों की आवाज शिवाक्षी के कमरे तक आ रही है लेकिन वो ख्यालों में इतनी खोई हुई है कि उसे अपनी माँ का उसके कमरे की तरफ बढ़ने का आभास नहीं होता है. उसकी माँ ने उसे आवाज दी-शिवी...
लेकिन उसने अपनी माँ के पुकारने के बावजूद भी उसने कोई जवाब नहीं दिया.
-शिवी.. सुन रही है क्या तू?
-हूँ..
वो बस धीमें से बोली लेकिन अब भी उसे देखकर ऐसा ही लग रहा था जैसे वो ख्यालों में ही खोयी हुई है.
-शिवी.. मैं तुम्हें कुछ कह रही हूँ..
उन्होंने जोर से शिवाक्षी को हिलाया.
-हूँ .. मम्मा..
-गधी है क्या तू? कब से आवाज दे रही हूँ..
-सॉरी मम्मा.. वो मैं..
-क्या वो.. वो कर रही हो. क्या सोच रही थी..?
-मम्मा वो डबिंग..
-क्या.. डबिंग.. ये क्या होता है..
उसकी माँ इस तरह से बोला जैसे वो डबिंग के बारे में कुछ नहीं जानती है.
-अरे बोल ना.. क्या डबिंग.. क्या बला है ये?
-वो क.. कुछ नहीं. ऐसे ही मुंह से निकल गया मेरे.
-कल को तेरे मुंह से कुछ ओर निकल गया तो? ऐसे कैसे निकल गया?
उन्होंने गुस्से में कहा.
-अब मम्मा तुम मुझे डबिंग बोलने पर तालिबान के आंतकियों की तरह गोली मारोगी क्या? पता नहीं क्या खाके पैदा किया था मेरी नानी ने?
वो आगे की बात को धीमें से बुदबुदाते हुए बोली.
-क्या बोली तू?
-कुछ नहीं मेरी प्यारी सी मम्मा. वो क्या है ना मैं बोर सा फील कर रही थी. क्या तू रिचार्ज करवा देगी मेरे फ़ोन का.. आज खत्म हो गया है मेरा डेटा पैक?
उसने उदास होकर कहा.
-क्या करेगी तू? सारे दिन फिर किट-किट लगी रहती है फ़ोन पर. जाओ मैं नहीं करवाने वाली.
-देखो मम्मा.. तुम्हें अच्छे से पता है जैसे दो कंट्रीज के बीच रिश्ते बिगड़ते हैं तो युद्ध भले ही ना हो लेकिन वो एक दूसरे की मदद नहीं करते हैं. आज तुम रिचार्ज नहीं करवाकर दे रही हो. शाम को पापा आयेंगे तो मैं उनसे करवा लुंगी लेकिन तुम भी जान लो. जब तुम्हें मेरी जरूरत पड़ेगी तो मैं भी फिर तुम्हारी कोई मदद नहीं करुँगी.
उसने अपनी माँ की आँखों में देखते हुए कहा.
-तुम न लड़की अब बगावत पर उतर आई हो. मेरी कमजोरी पर वार कर रही हो?
-हाँ बिलकुल. तुम मेरा रिचार्ज करवाओ फिर मैं भी तेरा काम कर दूँगी.
-अच्छा ठीक है. मैं तेरे पास काम को लेकर ही आई थी. तुम वो काम कर दो मैं तुम्हें रिचार्ज करवा दूँगी.
-ओके डन पर मैं झाड़ू पोछा नहीं करुँगी. ये नौकरों वाले काम उस आरू से ही करवाओ तुम.
उसने मुंह फुलाते हुए कहा.
-ठीक है महारानी जी. मत करना वो सब. वो मैं तुम्हें मार्किट भेज रही थी?
-किस लिए?
-वो घर का राशन खत्म हो गया है ना इस लिए. तुम राशन लेकर आ जाना और आते वक्त रिचार्ज भी करवा लेना. मैं तुम्हें कुछ पैसे ज्यादा दे दूँगी. चल नीचे आ.
-पैसे नहीं रूपये देंगे होंगे. हा हा हा
-हे भगवान... तू न अब आती हो या नहीं. हरदम राक्षस की तरह हंसती रहती हो.
-हाँ आ रही हूँ.
वो बेमन से खड़ी हुई और उसके बाद बुदबुदाती हुई अपनी माँ के पीछे पीछे चल दी.
-अब मुझे अच्छे से पता है ये मम्मा मुझे सिर्फ एक महीने के रिचार्ज के पैसे देंगी और मेरी प्यारी अनारकली की कमर तोड़ देंगी. बेचारी कब तक चालीस-चालीस किलों उठाकर भुर्र-भुर्र करेगी.
उसे अपनी स्कूटी की चिंता हो रही थी. अक्सर उसकी माँ उसकी स्कूटी की क्षमता से ज्यादा सामान लेकर आने को बोल देती थीं जिसके चलते इतना वजन लाना शिवाक्षी के लिए मुश्किल हो जाता. लेकिन अब उसे कैसे भी करके मार्किट जाना था. उसकी माँ ने रसोई में से सामान की लिस्ट दी और साथ में रूपये दे दिए. जिन्हें लेकर वो निकल गई.
-दिल की तो तू बुरी नहीं है शिवी. बस थोड़ी जिद्दी है. वैसे ये डबिंग क्या होता है? पहले कभी नाम नहीं सुना इसका.
उसकी माँ भी डबिंग नाम से वाकिफ नहीं थी. उन्हें इस बात का ज़रा सा भी अंदाजा नहीं था कि कुछ दिनों के बाद यही वो शब्द होगा जिसकी वजह से उनके घर में शिवाक्षी बगावत करेगी.
क्रमश: