क्या फिर होगी भारत में गुलामी ?
क्या फिर देनी पड़ेगी देश के दुश्मनों को सलामी?
क्यों ज़रूरी है देशद्रोहियों-शत्रुओं पर वार लगातार?
सारा भारत एक,
फिर भी घूम रहे अंग्रेज़ अनेक,
भारत का कारोबार बेच,
भारत को कुचलते मसलते लूटते फिरंगी शत्रु अनेकोनेक।
लड़े थे और हुए शहीद -
भगत-सुखदेव-बोस से कंपनी राज हुआ भयभीत।
सम्मानित करते थे दूसरों के रिवाज़-रीत,
भारत को कठोर अनुशासन से,
प्रगाढ़ बना गेट थे भारतभक्ति के गीत।
कितने लीन्हे सनकी सिंह उजाड़,
सॉन्डर्स-डायर खाए पछाड़,
आयी नवयुवकों की बाढ़,
जिनमें सच्चा भारतीय रक्त प्रगाढ़।
नरम दल और गरम दल,
भारत भूमि के दोनों कर्म बल,
अहिंसा व हिंसा,
दोनों की ही हृदयपूर्वक प्रशंसा,
करते रहो देशद्रोहियों पर वार प्रबल,
फिरंगी न पाये आघात से संभल।