साहित्यकार ,पत्रकार सह -सम्पादक छत्तीसगढ़ महिमा रायपुर ( हिंदी मासिक पत्रिका )
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जीवन से सिख्ख जीना -----^^^---- तड़पते दरिया पर लिख्ख तड़पते जीवन पर लिख्ख जो गुजर गया उसे भूल अभी वक्त है उमंग का जीवन जीने को सिख्ख जिन्हें तू वक्त दिया ओ क्या तुम्हें समझे ? तू अपने लिए दे
<div>कविता </div><div>अपने घर लौटते पक्षी</div><div>---------------- </div><div>सांझ ढलते
<div><br></div><div>कविता </div><div>अस्त -ब्यस्त ज़िंदगी</div><div>----------------------</div>
<p>कविता</p> <p>मन में जलती रहे विश्वास के दिये</p> <p>--------------------------</p> <p>सखी रे ! मन