कविता
मन में जलती रहे विश्वास के दिये
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सखी रे ! मन में जलती रहे विश्वास के दिये
उम्मीद, उमंग -उत्साह जगे हर सांस
हर हाथ में काम हो
कुम्हार का विश्वास न टूटे
दिये हैं महकती सौंधी मिट्टी के
विश्वास की बाती न टूटे साथी
दिये से दिये जले
लोगों की आस्था भले ही अलग - अलग हो
जज्बात और मानवता जिंदा रहे
हर आँगन में हो खुशहाली
स्नहे का दीप ब्यक्ति - ब्यक्ति के हृदय में जले
कोई किसी को न छोटा - बड़ा समझे
जीवन में नव उमंग हो
दिये से हर घर रोशन हो
मिट्टी की इस दिये से सबका घर चमकता रहे
सबके जीवन में नव सुबह हो इस दीपावली
आओ ऐसे दिये जलाएँ
लो शपथ आज 'साहिल' तुम भी
स्नेह की दिये न बुझने पाये
आशा की नव किरणें दिये जैसे जगमगाते रहें
लक्ष्मी नारायण लहरे 'साहिल'