पत्रकारों पर कार्रवाई करने के लिए उतावले कुछ पुलिस वाले मन ही मन लड्डू खा रहे हैं'
अटल बिहारी शर्मा-लखनऊ जब से सोशल मीडिया पर एक हेडिंग वायरल होने लगा है की फर्जी पत्रकारों पर होगा एक्शन।
तब से जिन लोगों को पत्रकारों से चिढ़ होती थी वह लोग डफली बजाने वाला काम कर रहे हैं।
वही लखनऊ के कुछ पुलिस के जवान भी मन ही मन लड्डू खा रहे हैं कि अब पत्रकारों की संख्या कम हो जाएगी उन पर कार्यवाही करके मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
कल हम खबर करने के लिए घर से निकले थे एक चौराहे पर सवारी का इंतजार कर रहे थे वहां एक कांस्टेबल खड़े थे क्ये कि बगल में चौकी।
हम बस के इंतजार में थे कांस्टेबल हमसे हमारा परिचय जानने लगे तो हमने बताया अपना नाम पता कार्य पूछने लगे हमने कहा हम स्वतंत्र पत्रकार हैं।
इतने में कांस्टेबल ने कहा डीजेपी बदल गए हैं नए वाले डीजेपी साहब आदेश कर दिए हैं की फर्जी पत्रकारों को दबोच दबोच कर बंद करो।
हमने उत्तर दिया अच्छी बात है हम खुद ही फर्जी लोगों पर लिखते हैं वह चाहे प्रशासन के हो या शासन के हो या पत्रकार हो।
फिर कांस्टेबल ने कहा चौकी इंतजार साहब से आपकी कैसे व्यवहार है हमने कहा भाई हमारा व्यवहार सबसे एक ही जैसा है हमारे लिए सब बराबर हैं वह चाहे अधिकारी हो या मंत्री नेता विधायक हो या दरोगा इंस्पेक्टर हो या कांस्टेबल या एक होमगार्ड या फिर आम जनता हमारा काम है सच दिखाना सच बोलना जन-जन की सेवा करना।
इतने में बस आ गया और बस पर बैठकर हम अपने काम के लिए आगे बढ़ गये।
चलो प्रशासन का एक अच्छा पहल है की ब्लैक मेलिंग करने वाले अवैध वसूली करने वाले भौकाल बनाकर लोगों को डराने धमकाने वालों पर कार्रवाई प्रशासन कर रही है तो बहुत अच्छी बात है।
पर पुलिस प्रशासन को एक बार ध्यान में रखना चाहिए कि जो अवैध वसूली ब्लैक मेलिंग डराने धमकाने वाला काम करता है वह जमीनी स्तर पर बहुत कम ही मिलता है।
ऐसे लोगों को आम जनमानस से कोई खास मतलब नहीं होता खबर को लेकर।
परंतु जो पत्रकार जमीनी स्तर से जुड़कर खबर को कवर करता है सच दिखाने का प्रयास करता है लोगों के समस्याओं को जन जन के बीच पब्लिश करना चाहता है अक्सर ऐसे ही पत्रकारों से पुलिस प्रशासन से झड़प होती है।
और ऐसे पत्रकारों को मुकदमा लिखने की धमकी दी जाती है और कार्रवाई भी कर दी जाते हैं।
बड़े-बड़े चैनल बड़े बड़े अखबार में काम करने वाले पत्रकार वह सच नहीं दिखा पाते जो अपने कैमरे में कैद करते हैं।
क्योंकि उनके पास मजबूरी होती है उनको अखबार चैनल की तरफ से सैलरी मिलता है जो अखबार चैनल का मालिक कहेगा उसी खबर को पब्लिश किया जाएगा।
इसीलिए जनता गोदी मीडिया का भी नाम रख दिया है।
लेकिन जो एक स्वतंत्र पत्रकार है छोटे अखबार छोटे चैनल से वह हर संभव प्रयास करके कड़ी मेहनत करके खबरों को इकट्ठा करता है और अपने सोशल मीडिया के प्लेटफार्म द्वारा पब्लिश करके सच को जन-जन के बीच पहुंचा देता है।
कारण उसे सिर्फ और सिर्फ पत्रकारिता करके देश के लिए समाज के लिए एक्टिव होना रहता है सच्चाई दिखाना होता है ना तो वह किसी से लाखों का विज्ञापन लेता है ना तो उसे कहीं से सैलरी मिलती है।
इसलिए एक स्वतंत्र पत्रकार किसी का गुलाम नहीं होता ना उसको किसी का डर होता है वह सच खबरों को दिखाता है और यह बात सभी को पता है कि सच हमेशा कड़वा हक होता है इसी के चलते स्वतंत्र पत्रकारों पर दबाव बनाया जाता है पराया धन पाया जाता है और कार्यवाही करने की धमकी देकर रास्ते से हट पाया जाता है।
शासन प्रशासन वेरीफाई करवा ले के जितने स्वतंत्र पत्रकार हैं उनके ऊपर पहले से कोई अपराधिक घटनाओं का मुकदमा पंजीकृत नहीं हुआ होगा।
यदि उन पर मुकदमा हुआ भी होगा तो खबर को कवर करने को लेकर सच दिखाने को लेकर सच बोलने को लेकर।
इस लेख को लिखने का हमारा मुख्य कारण यही है कि प्रशासन फर्जी पत्रकारों पर कार्यवाही करें परंतु जो निष्पक्ष लिखते हैं निस्वार्थ जनता की सेवा करते हैं स्वतंत्र होकर काम करते हैं जन जन के बीच सक्रिय रहते हैं उनका सहयोग करें।
तभी लोकतंत्र मजबूती के साथ भारत देश का नाम का झंडा विश्व में लहरा पाएगा।
कुछ पुलिस के जवान जो मन ही मन पत्रकार पर कार्रवाई होने का लड्डू खा रहे हैं वह भी सोच समझकर पत्रकार से अभद्रता करें पत्रकार के कामों में रुकावट ना बने वह अपना काम करें पत्रकार अपना काम करेगा एक दूसरे का सहयोग करेंगे तो देश में संदेश अच्छा जाएगा अपराध भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा।
और चारों स्तंभ देश को दिनोंदिन मजबूती के साथ आगे बढ़ाते रहेंगे।
एक पत्रकार की पहचान आई कार्ड डिग्री पहनावा उसके भाव भौकाल से नहीं की जा सकती।
उसके लेख से उसकी खबर से उसके व्यवहार से उसके कलम से की जा सकती है।
आवाज जन-जन की अपराध भ्रष्टाचार के खिलाफ!
स्वतंत्र पत्रकार अटल बिहारी शर्मा लखनऊ?