ज़हरीली हो गई है बाहर की हवाएं,माँ मुझे फिर से अपने आंचल में छुपा लो
**डरावनी रात** *(लड़की के संदर्भ में)* रात थी गहरी, सन्नाटा था फैला, आसमान में बादल काले थे छाए। एक लड़की अकेली घर लौट रही थी, दिल में था डर, आँख
परिचय: दहेज, दुनिया भर की विभिन्न संस्कृतियों में गहरी जड़ें जमा चुकी एक लंबे समय से चली आ रही प्रथा, अत्यधिक महत्व और विवाद का विषय रही है। इसमें शादी के बाद दुल्हन के परिवार से दूल्हे के परिवार को
कुछ वर्षों पहले जयपुर गया था । क्योंकि यात्रा पूर्व-निर्धारित न होकर अकस्मात् थी इसलिए कोई भी होटल बुक नहीं किया हुआ था । रेलवे स्टेशन पर बैठ कर मोबाइल पर किसी होटल की अच्छी लोकेशन देखकर बुक करने
एक छोटी सी बच्ची नाम लिली थी। वह एक गांव में रहती थी और उसके पास कोई शिक्षा नहीं थी। वह अनपढ़ थी और केवल कुछ अक्षरों को पहचान सकती थी।लिली के पास कोई स्कूल नहीं था, इसलिए उसे बाहर का कोई ज्ञान नहीं मि
सर्द रात का कहर,यूं थमता हर पहर,कर रहे मिलकर ये इशारा,दहशत पूछ रही पता हमारा...सन्नाटे का बढ़ता शोर,फ़ैल गया है चारों ओर,बनकर वक़्त भी काला चोर,अंधेरे में घूम रहा हर ओर...आजमाइश की ये तपती रेत,बनाकर ह
आज कल इतनी शादियां क्यों टूट रही? आज से दस बीस साल पहले तो ऐसा नहीं था, बहुत ही कम ratio होता था तलाक का ,पर आज कल तो तलाक सामान्य हो गया है।फैमिली कोर्ट के बाहर लाइन लगी होती है जैसे अब और कोई काम बच
जुबां पे दिलकश दिलफरेबी बातों का शहद, दिल में जहर-ओ-फरेब का समंदर हो ॥ मुस्कराहट के साथ फेरते हो नफरती तिलिस्म, सोचता हूँ कितने ऊपर औ कितने जमीं के अन्दर हो ॥ फूलों की डाल से दिखाई देते हो लेक
आप जहाँ पाँव रखोगे, ये वहीँ अपनी पूँछ मानेंगे, इनकी यही फ़ितरत है, ये बिना डसे कहाँ मानेंगे। आपकी साधारण लब्धि भी इनके लिए कारण है एक, विष-वमन कर देंगे, वैसे है ये उदाहरण एक। आपके एक-एक शब्
हर्षद मेहता द्वारा रचित "1992-1993 भारतीय शेयर बाजार घोटाला", जिसे हर्षद मेहता घोटाला भी कहा जाता है। हर्षद मेहता एक भारतीय स्टॉकब्रोकर और व्यवसायी थे जिन्होंने अपने लाभ के लिए शेयर बाजार में हेरफेर क
आज देश में बालीवुड के अभिनेताओ की करोड़ो की कमाई है। कई लोगो ने काफी मेहनत भी इस क्षेत्र में की है। उन्हे अनुभव है बॉलीवुड में पैर जमाने के लिए संघर्ष करना पड़ा लेकिन उसके औलाद को ये नाम पैसा ये रु
एक सामान्य स्वप्न ले कर जीने वाली लड़की।एक मध्यमवर्गीय परिवार की बेटी जिसने अभी जीना शुरू भी नहीं किया था कि जला कर मार दी गयी। क्यों ? क्योंकि किसी राक्षस का दिल आ गया था उसपर !उसे बीवी बना कर अपनी झ
जहाँ भी हम जाते हैं तो एक ही डर रहता है । जब गाड़ी चला रहे है या कही गए है या घर गाँव शहर में है।जहाँ कही भी है वो डर किसका है? वो डर पुलिस का है। पुलिस से लोग डरते है खौफ खाते है। कही पकड़ न ले यह
जलियांवाला बाग हत्याकांड भारत की आजादी के इतिहास की वो घटना है, जिसके बारे में सोचने पर भी रूह कांप जाती है. 13 अप्रैल 1919 को ये दुखद घटना घटी थी, जब पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर से कुछ ही दू
पूरी दुनिया विविधताओं से भरा है। प्राकृतिक व मानवीय रुप से यहाँ विविध आकार रंग रुप व कला देखने को मिलता है। इन्सान अपने जीवन को चलाने के लिए कुछ भी कर सकता है। संसार का कारोबार लेन देन से चलता
दोषी कौन ⁉️ ये कहानी नहीं एक गंभीर मामला है। जो हम सोचते हैं, देखते हैं हमारी कल्पना से परे बहुत ही गंभीर और डरवानी कहानी या यूं कहें एक सच्चाई है बहुत ज्यादा कड़वी सच्चाई है। इस दुनिया मे
यहां कहानी बहुत ही ज्यादा नई नहीं है परन्तु बहुत ज्यादा पुरानी भी नहीं है। आज से नहीं जब से मानवजाति का इतिहास में इतिहासकार ने जो लिखा है तब से आज तक हमने अपने बुजुर्ग से नानी से या दादी
एक देश की नींव रखी जाती है, उस देश में रहने वाले लोगों के द्वारा एक और सबसे महत्वपूर्ण वर्ग है जो युवाओं के द्वारा युवा ही देश की रीड की हड्डी के समान होते हैं ।अगर यह कमजोर होते हैं ,तो वह देश
दोषी कौन है इस मंजर का,जो खेल हो खंजर का।