धूप में छाँव की तरह,
ठंड में अलाव की तरह,
हर दर्द समझने वाली,
डांट में भी प्यार दर्शाने वाली,
मेरी माँ....प्यारी माँ....
15 जून 2016
धूप में छाँव की तरह,
ठंड में अलाव की तरह,
हर दर्द समझने वाली,
डांट में भी प्यार दर्शाने वाली,
मेरी माँ....प्यारी माँ....
मेरी जो सांस चलती है ,वो मेरी माँ से मिलती .है
15 जून 2016
बहुत सुन्दर लिखा है आपने|
15 जून 2016
बेहद सुन्दर पंक्तियाँ हैं दीपाली जी , इन पंक्तियों में आपने माँ की सजीव छवि दर्शायी है. ...
15 जून 2016