shabd-logo

माँ

10 मई 2015

233 बार देखा गया 233
featured imageअश्रुत नयन, पुलकित है मन , विह्वल ,अधीर , विषाद है, माँ जब आई याद मुझे, सूना सूना ह्रदय अपार है... माँ आपकी याद में "अमल" का ह्रदय से नमन ..

अभिषेक कुमार -अमल- की अन्य किताबें

शब्दनगरी संगठन

शब्दनगरी संगठन

काम शब्दों में सुनदर व्याख्या

11 मई 2015

1

मेरे शीर्षक की कहानी

5 मई 2015
0
2
8

मित्रो , मैं आज ही शब्दनगरी से जुड़ जहा थोडा प्रफुलित हूँ वही थोडा ससंकित भी हो गया हूँ क्यों की यहाँ मैंने अपने शीर्षक को नाम दिया "कुछ कुछ मेरे मन की" , मित्रो जब में यह शीर्षक सोचा था तोह कुछ अपने मन की करने को पर जब मैंने शब्दनगरी की सारी ओपचारिक्ताये पूर्ण कर ली तोह ध्यान से देखने पर शीर्षक कु

2

स्वीकारोक्ति

7 मई 2015
0
1
4

स्वीकारोक्ति जब उन से हम ने कर ली प्यार की, वोह यु मुकर गए जैसे पहचानते नहीं...."अमल"

3

रुसवा

8 मई 2015
0
1
0

बहुत सोचा की हो जायेगा रुसवा "अमल" ज़माने में, फिर सोचा यही तरीका हो उसका मुझे आजमाने में ......."अमल"

4

माँ

10 मई 2015
0
1
1

अश्रुत नयन, पुलकित है मन , विह्वल ,अधीर , विषाद है, माँ जब आई याद मुझे, सूना सूना ह्रदय अपार है... माँ आपकी याद में "अमल" का ह्रदय से नमन ..

5

मेरे अरमान......

15 मई 2015
0
0
0
6

हंगामा क्यों है बरपा , जब मैंने कुछ कर दी

22 मई 2015
0
3
3

जब हो परेशान जहा में, याद करो जब दिल से, परेशानी से हालत बुरे थे, उलझनों से थे वोह उलझे, जब हमने ख़ामोशी लाई, वोह कहते है आज, कुछ तोह हम कह दे.......... कहते कहते हम थक गए, इक बात मेरी न समझे, चाहत मेरी सभी दब गयी, परेशानियों को सहते कहते , अरमान सभी दिल में रह गये, यूँ कह कर चुप चुप रहते...........

7

मेरा आना, मेरा जाना

7 जून 2015
0
0
0

मेरा आना , मेरा जाना, बहुत मुस्किल होगा तुम्हे भूल जाना, बस बदल गये हो तुम सोचो जरा, वरना हम मुस्कुराते चेहरे के दीवाने है, आशुओ के नहीं , रखते है हम भी दम, अश्क-ऐ-गम पीने का, जीते जी हर रिश्ता निभाने का, रखा न वास्ता मेरे गम से तुमने , हम सहते गये तुम कहते गये , हम हँसते गये गम पीते गये , इन्तहा हु

---

किताब पढ़िए