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मैं फूल नही किसी aur की

8 जनवरी 2016

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मुझे फेंक मत किसी रह में मैं phul नही किसी aur की

मुझे दिल से लगा ले माँ मैं  बेटी हूँ अपने  देश की

तेरे छाव tale माँ मैं  रहकर जीवन पार karungi

padh लिख कर तेरा naam मैं रोशन करुँगी

अपने देश की शान मैं भी बनुगि

मुझे फेंक मत किसी रह में मैं phul नही किसी aur की

अतुल कुमार की अन्य किताबें

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डायरी के पन्ने

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मुझे गम नही किसी से जुदा होने का मुझे तो गम है ज़िंदगी से जुदा होने का

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मुझे फेंक मत किसी रह में मैं phul नही किसी aur की मुझे दिल से लगा ले माँ मैं  बेटी हूँ अपने  देश की तेरे छाव tale माँ मैं  रहकर जीवन पार karungi padh लिख कर तेरा naam मैं रोशन करुँगी अपने देश की शान मैं भी बनुगि मुझे फेंक मत किसी रह में मैं phul नही किसी aur की

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वो पगली दीवानी थी

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हैं ये उन दिनों की बात हमारी जब कॉलेज में कहानी थी ,वो अमावस की काली रात पर जब रोशनी कीमेहरबानी थी,चिन्ताओ के अधरों में जब खान पान हमभूले थे,खोये थे ख्यालो में जिनके उनसे ज़िंदगीरवानी थी,छुप कर ताका करती थी,वो पगली दीवानी थी|जात पात को समझ नहीं जब धर्मो को पहचानीथी,त

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डायरी- "बेदर्द आशिक़ी

6 जनवरी 2018
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भिगो न दे पलके तुम्हारी संभाल लो सितम अभी अधूरा ही हैं साहेब फितरत जमाने की बदलती नहीं उनके इरादे तुम क्या खाक बदलोगे              #अतुल हिंदुस्तानी   

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ऐ माँ

23 फरवरी 2018
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