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मेरा नाम अतुल कुमार हैँ। मैँ कानपुर का रहने वाला हूँ। मैने इले॰ इजीँ॰ मे डिप्लोमा किया हैँ। मुझे शायरी कविता लिखना और गाना गाना पसंद हैँ। मुझे अपनी राष्ट्र भाषा बहुत पसंद हैँ।

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ऐ माँ

23 फरवरी 2018
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https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=176223489678732&id=154048191896262

डायरी- "बेदर्द आशिक़ी

6 जनवरी 2018
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भिगो न दे पलके तुम्हारी संभाल लो सितम अभी अधूरा ही हैं साहेब फितरत जमाने की बदलती नहीं उनके इरादे तुम क्या खाक बदलोगे              #अतुल हिंदुस्तानी   

वो पगली दीवानी थी

29 दिसम्बर 2017
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हैं ये उन दिनों की बात हमारी जब कॉलेज में कहानी थी ,वो अमावस की काली रात पर जब रोशनी कीमेहरबानी थी,चिन्ताओ के अधरों में जब खान पान हमभूले थे,खोये थे ख्यालो में जिनके उनसे ज़िंदगीरवानी थी,छुप कर ताका करती थी,वो पगली दीवानी थी|जात पात को समझ नहीं जब धर्मो को पहचानीथी,त

अल्फ़ाज़ ऐ हुस्न

14 दिसम्बर 2017
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तेरी खूबसूरती को बयान भी क्या करे साहेब फ़क्त नैनों की बात नहीं हैं तू खुद एक चाँद का टुकड़ा हैं तू ही चांदनी हैं तेरे नखरों की कहानी अधूरी हैं पर तू लड़की शर्मीली हैं अब तुझे शब्दों में बयान क्या करे साहेब तू पारी सी लड़की

मैं फूल नही किसी aur की

8 जनवरी 2016
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मुझे फेंक मत किसी रह में मैं phul नही किसी aur की मुझे दिल से लगा ले माँ मैं  बेटी हूँ अपने  देश की तेरे छाव tale माँ मैं  रहकर जीवन पार karungi padh लिख कर तेरा naam मैं रोशन करुँगी अपने देश की शान मैं भी बनुगि मुझे फेंक मत किसी रह में मैं phul नही किसी aur की

क्या अभी भी हमे पाकिस्तान से इंसाफ की उम्मीद लगानी चाहिए ?

6 जनवरी 2016
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हम  किस  बात का इंतजार कर रहे है हम आतंकवाद को क्यों जिन्दा पकड़ने के लिए आपने जवानो की शहीद करते है    आखिर हमने सबूत  बटोर कर क्या कर लिया है जो हम आज भी सबूत बटोरते है  

डायरी के पन्ने

6 जनवरी 2016
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मुझे गम नही किसी से जुदा होने का मुझे तो गम है ज़िंदगी से जुदा होने का

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