" मंजिल की चाहा करने निकली मै
पर मंजिल ना मेरी मुझे मिली
कोई तो बताये ये क्यों हुआ
आखिर क्यों में यही पर रुकी
सोचा जो वो ना हुआ
मजिंल की चाह में, मै अपनों से दूर हुई
पर फिर भी मुझे
मेरी मजिंल नही मिली
ऐसा क्या हुआ कि मेरे रास्ते भटके
और मै अपनी दिशा से भटकी
क्यों हुआ पर जो हुआ सो हुआ
पर मेरी मंजिल मुझे नही ही
मजिंल की चाह करने निकली मै
पर मंजिल ना मेरी मुझे मिली "