यह कहानी एक प्रथ्वी के रक्षक की है जो प्रथ्वी को असुरों से बचाती है और उसका साथ देने और भी रक्षक आते है ।
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तेज बारिश का मौसम आंधी तूफान तेज रफ्तार से पूरी प्रकृति को नष्ट करने की होड में लगता है आज कुछ
एना के घर जाने के बाद नीरा सोचती है क्यों ना मैं आइसलैंड पर घुम आऊं और यही सोचकर वह आइसलैंड प
नीरा - अच्छा वैसे खीर देखने में बहुत अच्छी लग रही है और यह कहकर वह एक चम्मच से खीर खाती हैं एक चम्मच
इसके बाद एना कहती है- अच्छा अब मैं चलती हूं....<div>नीरा - ठीक है और एना चली जाती है एना के जाने के
आइसक्रीम खाते हुए यूवी बोला - हमें औरासुर के बारे में कुछ सोचना चाहिए क्योंकि वह चुपचाप बैठने वालों
युवी- तो खाना खाने के लिए कोई ऐसी जगाता है जैसे तुमने जगाया है तुम्हें मै छोडूंगा नहीं और यह कहकर वह
प्रिंसिपल रूम पहुंचकर वह दोनो अपने एडमिशन की बात करके वहां से बाहर निकल आते हैं....<div>  
घर पहुंचने के बाद सभी लोग रोज की तरह अपने काम करके तथा अगले दिन कॉलेज की तैयारी करने के बाद सो जाते
नीरा -अपनी मां से कहती है और बताइए आपकी तबीयत कैसी है ....<div> वह बोली - मेरी तबीयत ठीक है तु
कॉलेज पहुचने के बाद नीरा आकांक्षी से बोली चलो हम सब क्लास रूम में चलते हैं ....<div>आकांक्षी ठीक है
अगली सुबह सभी नाश्ता करने के लिए डाइनिंग टेबल पर बैठे तभी आकांक्षी नैना से बोली -आज मैं अपने घर जाऊं
नीरा की बात सुनकर युवी ने कहा - नही मैं आज घर नही जाऊंगा क्योंकि मेरा मन नहीं है और वैसे भी अभी मुझे