जीवन , जीवन को हम कई तरीके से अपने हिसाब से जी सकते हैं पर जीवन जीने के भी बहुत से हिसाब होते हैं क्योंकि कोई भी अपने हिसाब से जीवन नहीं जी सकता है जब हम छोटे होते हैं तो हमें अपना जीवन मां - बाप के हिसाब से जीना होता है और जब हम बड़े हो जाते हैं तब भी हमें अपने माता-पिता के हिसाब से ही अपना जीवन जीना पड़ता है .....
जब बड़े होकर शादी हो जाती है तो शादी के बाद पति और उनके घर वालों के हिसाब से जीवन जीना पड़ता है और जब बच्चे हो जाते हैं तो फिर बच्चों के हिसाब से चलना पड़ता है ...😔😔😔😔😔😔
मतलब हम पूरी जिंदगी अपना जीवन जी ही नहीं पाते हैं बस दूसरों के इशारे पर नाचते रहते हैं वह जो कहते हैं हमें वही करना होता है वरना यह जीवन ,जीवन नहीं बल्कि नर्क बन जाता है😔😔😔😔😔😔