मन मे जाने कैसी कश्मोकश सी रहती है।
बात आकार अक्सर होंठों तक रहती है।
वो जिसने दावा किया था मेरा चेहरा पढ़ लेगा।
उसे ही मेरे हर गम की खबर किसी और से मिलती है
13 मार्च 2022
मन मे जाने कैसी कश्मोकश सी रहती है।
बात आकार अक्सर होंठों तक रहती है।
वो जिसने दावा किया था मेरा चेहरा पढ़ लेगा।
उसे ही मेरे हर गम की खबर किसी और से मिलती है