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मनुष्य और पत्थर

6 नवम्बर 2017

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देखा है उनको निर्जीव हाथी को पूजते हुये।
देखा था कल हाथी को महावत से जूझते हुये।।

देखा उन्हें है जिंदा सांप को लाठी से मरते हुये ।
देखा है पत्थर के सांप की आरती उतरते हुये।।

पत्थर की औरत की वो आराधना करते है।
किन्तु घर की औरत पर वो प्रताड़ना करते है।।

आज भी तो मुझे समझ मे ये राज नही आता है ।
जिदंगी से है नफ़रत तो फिर पत्थर क्यों भाता है

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