मौन
मौन होकर उस आनंद की अनुभूति करना चाहता हूँ
लाखों वर्षों से जिसके लिए भटक रहा हूँ।
जग मन विलास है....
प्रभु हृदय-हुलास है;
यह भाव निरंतर आ रहा है,
चिर -शांति का द्वार लग रहा है।
अनुभूतियाँ जीवन की अनेक हैं..
अनेक हैं धरातल भी..
मौन का धरातल हृदय-पटल है
सत् चित् आनंद जहाँ हर एक पल है।
मौन रहकर उस असीम
शांति को पाना चाहता हूँ...
जिसके लिए मैं चला आया,
साक्षी बनूँ हर एक पल का,
अंतस्थ से यह भाव अब जाग गया।