मुझमें, मौन समाहित है✒️जब खुशियों की बारिश होगीनृत्य करेंगे सारेलेकिन,शब्द मिलेंगे तब गाऊँगामुझमें, मौन समाहित है।अंतस् की आवाज़ एक हैएक गगन, धरती का आँगन।एक ईश निर्दिष्ट सभी मेंएक आत्मबल का अंशांकन।।बोध जागरण होगा जिस दिनबुद्ध बनेंगे सारेलेकिन,चक्षु खुलेंगे तब आऊँगामुझमें, तिमिर समाहित है।वंद्य चरण
मौनमौन होकर उस आनंद की अनुभूति करना चाहता हूँलाखों वर्षों से जिसके लिए भटक रहा हूँ।जग मन विलास है....प्रभु हृदय-हुलास है;यह भाव निरंतर आ रहा है,चिर -शांति का द्वार लग रहा है।अनुभूतियाँ जीवन की अनेक हैं..अनेक हैं धरातल भी..मौन का धरातल हृदय-पटल हैसत् चित् आनंद जहाँ हर
“जिससे आप वास्तव में प्यार करते हैं, उसके अजीब खिंचाव में खुद को चुपचाप खींच लें। यह आपको भटकाएगा नहीं। ” ~Rumiबहुत बार, हमारा जीवन इतनी व्यस्तता और व्याकुलता से भरा होता है कि हमारे पास वास्तव में यह सुनने के लिए जगह नहीं बचती है कि जीवन हमें क्या करने के लिए बुला रह
मूक बधिर सत्य, स्थिर खड़ा एक कोने में, बड़े ध्यान से देख रहा है, सामने चल रही सभा को, झूठ, अपराध, भ्रष्टाचार इत्यादि, व्यस्त है अपने कर्मो के बखानो में, सब एक से बढ़ कर एक, आंकड़े दर्शा रहे है, सहसा दृष्टि गयी सामने सत्य की, सिर झुकाये सोफे पर बैठा, आत्मसम्मान, सब कुछ देख
हम अपने हर उपलब्ध स्थान को भरने, अधिक कार्यों में व्यस्त रहने, संदेशों का जवाब देने, सोशल मीडिया और ऑनलाइन साइटों की जाँच करने, वीडियो देखने में बिताते हैं।हम अपने जीवन में खाली जगह से डरते हैं।परिणाम अक्सर एक निरंतर व्यस्तता, निरंतर व्याकुलता और परिहार, ध्यान की कमी, हमारे जीवन से संतुष्टि की कमी ह