शांति ख़ोज रहा है भटक है मन अपने ही अंदर खोजो शांति वहीं टिकेगा मन!! धरती की किस छोर पर मिलेगी शांति इसी सोच में भटक रहा था मन.. समुद्र की गहराइयों में झील की शालीनताओं में पहाड़ों की ऊंचाईयों में ख
मौनमौन होकर उस आनंद की अनुभूति करना चाहता हूँलाखों वर्षों से जिसके लिए भटक रहा हूँ।जग मन विलास है....प्रभु हृदय-हुलास है;यह भाव निरंतर आ रहा है,चिर -शांति का द्वार लग रहा है।अनुभूतियाँ जीवन की अनेक हैं..अनेक हैं धरातल भी..मौन का धरातल हृदय-पटल हैसत् चित् आनंद जहाँ हर
छोटी सोच हो या पैर की मोच, कभी आगे नहीं बढ़ने देती. जहां छोटी सोच के चलते नीयत डोलने में देर नहीं लगती,वहीं पैर की मोच अपाहिज बना देती है. बाकी बची दुनिया, जिसके पीछे पड़ जाए, तो ऐसे पड़ती है कि जैसे खुद दूध की धुली हो. किसी काम की सकारात्मक या नकारात्मक समीक्षा हो सकती है. लेकिन किसी के अस्तित्व को
ॐ –शांति - पुलवामा के शहीदों कोश्रद्धांजलिपुलवामा के वीरशहीदों को शत-शत श्रद्धांजलि है,कसम हमें एक बूँद भी, बन जाए अब अंजलि है,इतना साहस सेना की आँखों में धूल झोंकी है,शहीदों के लहूसे फिर लटपथ हुई ये चौकी है।सीज़ वार ,सर्जिकल स्ट्राइक, हल नहीं कायरता का ,छ्ल से घातकिया जो, निर्मम वीरों से
“मुक्तक” शांति का प्रतीक लिए उड़ता रहता हूँ। कबूतर हूँ न इसी लिए कुढ़ता रहता हूँ। कितने आए-गए सर के ऊपर से मेरे- गुटरगूं कर-करके दाना चुँगता रहता हूँ॥-१ संदेश वाहक थे पूर्वज मेरे सुनता रहता हूँ। इस मुंडेर से उस मुंडेर भटकता रहता हूँ। कभी खत लटक जाते गले कभी मैं तार से- रास
जब हम सुख (happiness) की बात करते है तो उसकी परिभाषा हर इंसान के लिए अलग अलग है। सुखी होना मतलब खुश (happy) होना। अब किसी के लिए उसके अच्छे सपनो का सच हो जाना सुख का अनुभव है, किसी भूखे को अच्छा खाना मिल जाने से खुशी मिलती है उसको सुख का अनुभव होता है, छोटा बच्चा अपनी माँ को देखकर सुख का अनुभव कर
एक बार एक किसान की घड़ी कहीं खो गयी. वैसेतो घडी कीमती नहीं थी पर किसान उससे भावनात्मक रूप सेजुड़ा हुआ था और किसी भी तरह उसे वापस पाना चाहता था.उसने खुद भी घडी खोजने का बहुत प्रयास किया, कभी कमरे मेंखोजता तो कभी बाड़े तो कभी अनाज के ढेर में ….पर तामामकोशिशों के बाद भी घड़ी नहीं मिली. उसने निश्चयकिया