shabd-logo

अाहों में अब वो ज़ोर ना रहा

2 जुलाई 2016

102 बार देखा गया 102

मज़लूम लाचार है 
मुल्ज़िम के खैरख्वाह हज़ार हैं

बिदके क़ानून वालों की अब ख़बर कौन ले 
खड़े कान बंद, खुली नज़र मौन रहे

बहरों को जगा सके वो शोर ना रहा 
अाहों में अब वो ज़ोर ना रहा

1

दर्द

31 मई 2016
0
1
0

वो निर्णय मेरा था सूत्र परिणय मेरा थाक्रोध भी मेरा आक्रोश भी मेरा थाइसीलिए कोई शिकायत नहींकोई ग़िला कोई शिक़वा नहींवो दर्द मेरा था बोझिल सा तन सर्द मेरा था

2

पहाड़ और बादल

1 जून 2016
0
2
0

एक प्रेम कहानी सुनोपहाड़ और बादल कीदो प्रेमी पागल कीएक वक़्त थाबदल पंख थापहाड़ अंग थादोनों उन्मुक्त उड़ा करते थेस्वेच्छा से कहीं भी आसन गढ़ा करते थेख़ुशी के दिन थेदोनों अपने आप में लीन थे   पेड़ - पौधे, जीव - जंतु हुए परेशानभगवान से कर शिकायत मांगे समाधान देवताओं ने निकाली एक युक्तिदेनी थी फरियादी को कष्ट

3

दिसंबर २०१५ बाढ़ से जूझता दक्षिण भारत

2 जून 2016
0
0
0

गंगा जब उतरीं धरती परशिव ने संभाला वेगआज कोई नहीं शिव यहाँ शहर शहर डूबा गाँव गाँव डूबा यह अफरा तफरी यह तबाही देख

4

काश के कभी ऐसा हो

4 जून 2016
0
0
0

जाने तुम्हें पता है भी के नहीं इतने अरसों मेंतुम्हें समझा है भी के नहीं अपनी इच्छा जताने को तकलीफ़ होती है बड़ी मुझको कितना मुश्किल है बताना सारी बातें हर घडी तुझको      मैं बोलूं न और तुम समझ लो तो कैसा हो      काश के कभी ऐसा हो कितने महीने हो गए देखे तुझको कब आओगे बोलो मुझको हर बार क्यूँ बुलाना होता

5

अाहों में अब वो ज़ोर ना रहा

2 जुलाई 2016
0
0
0

मज़लूम लाचार है मुल्ज़िम के खैरख्वाह हज़ार हैंबिदके क़ानून वालों की अब ख़बर कौन ले खड़े कान बंद, खुली नज़र मौन रहेबहरों को जगा सके वो शोर ना रहा अाहों में अब वो ज़ोर ना रहा

---

किताब पढ़िए