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मेघ मलहार

2 सितम्बर 2021

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भींग रहीं थी बरखा,    

मेघ बरस रहें थें इतना।

झूम रहें बादल नभ में,

खुश जो थी वो इतना।

इतना खुश किस बात पर थी वो,

पहले तो कभी देखा ना।

लगता है ...देखो तो उसके भी,

क्यूँ! भींग रहे दो नैना।

झर-झर आँसूं से भींग रहीं,

चेहरे पे हँसी है कितना।

जेठ मास के दिन हैं ये,

फिर बरस रही क्यूँ इतना।

लगता है कुछ तो बात हुई,

उस रात से मौसम बिगड़ा।

कितना गरजा था वो अम्बर,

था कुछ तो उसको कहना।

जा चला गया बादल था वो,

बिन सावन वो बरसे ना।

कोई तरस रहा बादल बरसे,

कोइ झटक रहा है मन को हाँ।

नित बादल आये-जाये नभ में,

कुछ शोर करे, कुछ बरसे ना।

क्या छोड़ गया कोई साथी उसको,

देखो ...बरस रहा रो कर वो कितना।
© kumar gupta

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तो, गुप्ता जी की सपना जी यहां हैं आजकल... 😊 😊 😊 राधे राधे 🙏🏻🌷🙏🏻

18 अक्टूबर 2021

gupta ji

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25 नवम्बर 2021

😊😃

Poonam kaparwan

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मेघ मल्हार ।सुंदर अति सुंदर

3 सितम्बर 2021

gupta ji

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3 सितम्बर 2021

शुक्रिया ...💐😊

2 सितम्बर 2021

gupta ji

gupta ji

3 सितम्बर 2021

thank you so much ...🙏😊

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